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अगर एक महिला और पुरुष एक जैसा काम कर रहे हैं तो क्यों न सैलरी भी एक जैसी हो ?
यह सवाल अक्सर उठता है और लोग इस बारे में फुल ज्ञान भी देते हैं तो अब अपना ज्ञान थोड़ा और बढ़ा लीजिए और जान लीजिए ऐसे देश के बारे में जो इस बारे में नजीर बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
दरअसल, जब बात समानता की आती है तो उसमें कई तरह की समानता होती है। जिनमें से लैंगिक समानता भी एक है। महिला पक्ष का तर्क होता है कि यह लैंगिक समानता का उल्लंघन है तो ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो इसके पक्ष में तर्क देते हुए कहते हैं कि प्रकृति ने ही स्त्री और पुरुष को अलग-अलग शक्तियां दी हैं। आप सोच रहे होंगे कि ये क्या तर्क है ?
तो भइया, तर्क का क्या है कि लोग कहीं का भी तर्क कहीं भी ठेल देते हैं।
खैर मुद्दे की बात पर आते हैं, तो बात ये है कि यूरोपीय देश आइसलैंड ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। यहां बकायदा कानून बनाया गया है, समान काम के लिए समान वेतन को लेकर।
इस कानून के मुताबिक अब कंपनी या उसके मालिक को यह साबित करना होगा कि वे महिला और पुरुष कर्मचारियों को एक जैसे काम के लिए एक जैसा वेतन दे रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो संबंधित कंपनी पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
इस कानून का पालन करने के लिए सबसे पहले इस देश में एक बैंक ने शुरुआत भी कर दी है। यहां काम करने वाली एक कर्मचारी बताती हैं कि लैंगिक समानता के मामले में आइसलैंड की गिनती दुनिया के बेहतरीन देशों में होती है। यह कानून इसी दिशा में मदद करेगा।