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हमारा देश भारत, इंटरनेशनल लेवल पर इंडिया, एक तेज़-तर्रार देश है। बढ़ती इकनॉमिक ग्रोथ, तेज़ रफ़्तार इंटरनेट और तेज़ यंग दिमाग के चलते इंडिया इंटरनेशनल सर्किट प्लेयर बन रहा है। मगर इंडिया को अब एंट्री चाहिए NSG में, बोले तो न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में। इस मैदान में अंतर्राष्ट्रीय न्यूक्लियर कॉमर्स के नियम बनाए जाते हैं। इसका हिस्सा बनने से इंडिया न्यूक्लियर सामान का इंपोर्ट और एक्पोर्ट कर पाएगा।
1974 में बने इस ग्रुप में 48 देश की भागीदारी है। भारत अब इसका हिस्सा बनना चाहता है। भारत के सामने रोड़ा है NPT, जिसे शुद्ध हिंदी में परमाणु अप्रसार संधि कहा जाता है। 48 में 5 देश तो VETO वाले हैं और बाकी 43 इस संधि को साइन करने वाले। भारत ने इसे साइन नहीं किया और यहीं उसकी राह में रुकावट है।
लेकिन अगर भारत इस टीम का हिस्सा बन जाता है तो...
1. भारत को तकनीकी रूप काफी फायदा होगा। विदेश की एडवांस्ड टेक्नोलॉजी भारत में आएगी। इससे भारत अपनी नई तकनीक दूसरे देशों को बेच सकता है। ‘मेक इन इंडिया’ का दूसरा वर्ज़न...
2. न्यूक्लियर तकनीक से भारत को दवा से लेकर न्यूक्लियर एनर्जी पावर प्लांट में भारत को बिज़नेस मिलेगा। NSG कार्टल का हिस्सा बनने से इंडिया को इंटरनेशनल लेवल पर स्वीकार किया जाएगा।
3. एनर्जी में हमारा देश फॉसिल-फ्यूल पर निर्भर करता है। न्यूक्लियर एनर्जी बनाने से कम लागत में साफ और ज्यादा ऊर्जा बनाई जा सकेगी। NSG के बाहर होने के कारण भारत न्यूक्लियर मार्केट में कई चीज़ों में पीछे है।
4. इससे भारत में न्यूक्लियर मार्केट का विस्तार होगा। नई तकनीक और नए आविष्कारों से इकनॉमिक ग्रोथ को बेहद फायदा होगा। श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश जैसे तमाम पड़ोसी मुल्क भारत से न्यूक्लियर एनर्जी खरीद पाएंगे।
5. तकनीक और आर्थिक स्तर के अलावा, NSG की मेंबरशिप से कूटनीतिक स्तर पर भी भारत को काफी फायदे होंगे। पावर गेम की बात है सारी... पाकिस्तान को भी इससे काफी सॉलिड तरीके से रोका जा सकता है।