जिस होटल में पिता थे गार्ड महज 19 साल का बेटा अपनी कमाई से वहीं बनाकर ले गया उन्हें मेहमान
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Ayush Jha
Updated Fri, 15 Nov 2019 11:51 AM IST
प्रतिकात्मक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
कहते है इंसान के ख्वाबों का परिंदा बहुत ऊंचा उड़ता है लेकिन इस उड़ान के लिए उसे खुद पर विश्वास और हौसलों के पंख चाहिए और यकिन मानिए पंख जब अपना काम करना शुरू करते है न तो सारी दुनिया इसकी उड़ान देखती है। कामयाब होने का सपना तो हर कोई देखता है, मगर इस सफर का मजा तब दोगुना हो जाता है जब परिवार वालों का प्यार और साथ हो। ऐसे ही एक कहानी है आर्यन की जिसने महज 19 साल में अपने सपने को साकार किया और अब अपने मां-बाप के मासूम ख्वाबों को पूरा कर रहा है।
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आर्यन का बचपन आसमान से मोहब्बत और घर की आर्थिक तंगी के बीच गुजरा, कहने का मतलब है आर्यन की दिलचस्पी तारों और अंतरिक्ष में थी। पिता चौकीदारी और अखबार बेचकर घर का गुजरा करते थे। मां हाउस वाइफ थीं। र छोटा था, रुपये की कमी भी थी मगर कमी न थी तो बस आर्यन के कुछ कर गुजर जाने वाले जज्बे में। हालांकि, आर्यन अपनी बस्ती में इकलौता ऐसा बच्चा था जो प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाता था, जिसमें अपने ख्वाबों को सच करने का जुनून था।
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आर्यन जब दस साल का था तो उसके अंदर अंतरिक्ष को जानने की उत्सुकता और बढ़ गई जिसके एक साल बाद ही उसने स्कूल की एस्ट्रोनॉमी वर्कशॉप में दाखिला लिया। आर्यन ने पहली बार टेलीस्कोप से शनि ग्रह के खूबसूरत रिंग्स को देखी उसे पता चल गया कि उसे अपने जीवन में क्या करना है।
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घर आकर जब आर्यन ने अपने माता-पिता को बताया कि वह एस्ट्रोनॉमर बनना चाहता है तो उन्हें करियर के तौर पर यह ठीक नहीं लगा। हालांकि, यह सपना आर्यन के भीतर चमकता रहा। आर्यन ने अपने लिए टेलिस्कोप खरीदने के लिए पैसे जोड़ना शुरू कर दिया ताकि वो एक टेलीस्कोप खरीद सके।
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इसके लिए वो स्कूल पैदल जाने लगा, खाना छोड़ने लगा, आखिर उसकी मेहनत रंग लाई और उसने 5000 रूपये में एक टेलीस्कोप खरीद लिया लेकिन जब उसने वो खरीद लिया, तो उसके माता-पिता को लगा कि यह बेकार है। इसके कारण उन्होंने आर्यन से 4 दिन बात नहीं की।मगर न आर्यन को पता था न ही उसके माता-पिता को कि बहुत जल्द उन सब की ज़िंदगी बदलने वाली है।
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14 साल की उम्र में ही आर्यन ने एक एस्टेरॉइड की खोज की और इसके बाद उसकी खोज से जुड़ी खबरें अखबारों में छपी। उसके पापा हैरान रह गए। क्योंकि बस्ती से आर्यन अकेला था, जो अखबार में आया था।आर्यन को मीडिया वाले कवर करने लगे और यही नहीं यूनिवर्सिटीज भी उसे लेक्चर देने के लिए बुलाने लगी, तब उसे इस बात का एहसास हुआ की वो Astronomy Lecturer के रूप में भी अपना करियर बना सकता है।
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आज आर्यन 19 साल के हैं और पूरी तरह से स्वतंत्र है। अब वह आर्थिक रूप से भी मजबूत हुआ है। आर्यन का सपना है कि वो अपनी खुद की प्रयोगशाला खोलें और अद्भुत खोज करें। हाल ही, आर्यन बनारस से लौट रहा था। उसने ट्रेन की जगह अपने मम्मी-पापा को फ्लाइट से लाने का फैसला किया। यह पहली बार था जब उसके माता-पति प्लेन में बैठे थे।
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आर्यन ने बताया कि जनवरी बेहद खास होने वाली है। क्योंकि वो अपने पेरेंट्स को उस होटल में ठहराने वाले हैं, जहां कभी उसके पिता ने चौकीदार के रूप में काम किया था! यह सभी लम्हे भले ही छोटे हों, लेकिन इनकी खुशी बहुत ही बड़ी है। वाकई इस बेटे की कहानी ने लोगों का दिल जीत लिया है।