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अजब-गजब: मृत शख्स कागजों पर हुआ था जिंदा, अब अपनी पत्नी से करने जा रहा है दोबारा शादी

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: संकल्प सिंह Updated Fri, 02 Jul 2021 04:33 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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आजमगढ़ के लाल बिहारी को कौन नहीं जानता। लंबे समय पहले इन्हें सरकारी आंकड़ों में मृत घोषित कर दिया गया था। सरकारी कागजों पर अपने आपको दोबारा जिंदा करने के लिए इन्होंने काफी लंबी लड़ाई लड़ी। आधिकारिक कागजों पर दोबारा जिंदा होने की इस अनोखी लड़ाई ने देश-विदेश में खूब सुर्खियां बटोरी थी। लाल बिहारी की इस अनोखी लड़ाई पर बॉलीवुड की एक लोकप्रिय फिल्म भी बनी है, जिसका नाम 'कागज' है। इस फिल्म में मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने शानदार अभिनय किया है। फिल्म में लाल बिहारी के संघर्ष को बहुत ही अच्छे ढंग से दिखाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे सरकारी अधिकारी आपसी मिलीभगत से एक जिंदा शख्स को भी मृत घोषित कर देते हैं। अब खबर ये आ रही है कि 66 वर्षीय लाल बिहारी दोबारा अपनी पत्नी के साथ पुनर्विवाह करने जा रहें हैं। ये खबर पूरे भारत भर में खूब सुर्खियां बटोर रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लाल बिहारी के तीन बच्चे हैं, जिसमें दो बेटियां और एक बेटा है। उनके तीनों बच्चों की शादी हो चुकी है। अब वे अपनी पत्नी के साथ पुनर्विवाह करने जा रहें हैं। इसके जरिए वे जीवत मृतकों की दुर्दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। 
पुनर्विवाह को लेकर सवाल-जवाब में लाल बिहारी ने संवाददाताओं से कहा - "27 साल पहले सरकारी रिकॉर्ड में मेरा पुनर्जन्म हुआ था। अब मैं  2022 में अपनी 56 वर्षीय पत्नी कर्मी देवी के साथ दोबारा पुनर्विवाह करूंगा। इस दौरान मैं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 28 साल का हो जाऊंगा।"
आगे उन्होंने बताया - "भले ही मैं काफी वक्त पहले अपना केस जीता था। इसके बाद भी व्यवस्था में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ है। मैं 18 साल तक सरकारी रिकॉर्ड में मृत रहा। अभी भी ऐसे कई लोग हैं, जिनको झूठ-मूठ में मृत घोषित करके रिश्तेदार और सरकारी अधिकारी उनकी सभी जमीनों को हड़प लेते हैं। मैं लंबे समय से ऐसे लोगों की मदद कर रहा हूं। मेरा ये अभियान आगे भी जारी रहेगा।"
आपको बता दें कि लाल बिहारी आजमगढ़ के अमिलो गांव के रहने वाले हैं। उन्हें आधिकारिक आंकड़ों पर 1975 में मृत घोषित कर दिया गया था। सरकारी आंकड़ों पर अपने आपको दोबारा जिंदा करने के लिए उन्होंने करीबन 20 साल की लंबी लड़ाई लड़ी। उनके इसी संघर्ष पर फिल्म डायरेक्टर सतीश कौशिक ने कागज नामक शानदार फिल्म बनाई। 
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