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'फ्लाइंग कॉफिन' के नाम से बदनाम है मिग-21, क्या राफेल लेगा मिग की जगह?

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: गौरव शुक्ला Updated Fri, 08 Mar 2019 05:49 PM IST
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Mikoyan-Gurevich MiG-21
Mikoyan-Gurevich MiG-21 - फोटो : You Tube
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विस्तार

'फ्लाइंग कॉफिन' के तौर पर बदनाम लड़ाकू विमान मिग-21 को आखिर कब रिटायर किया जाएगा। मिग विमानों के क्रैश होने की घटनाएं बेहद आम हैं। राजस्थान के बीकानेर जिले में शुक्रवार को वायुसेना का एक लड़ाकू विमान मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो गया, हालांकि पायलट सुरक्षित है। हाल के दिनों में मिग क्रैश होने की यह दूसरी घटना है। 

सेना के प्रवक्ता सोंबित घोष के अनुसार, दुर्घटनाग्रस्त लड़ाकू विमान मिग-21 बीकानेर के वायुसेना के नल एयरबेस से नियमित उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान का पायलट सुरक्षित कूद गया। लड़ाकू विमान क्रैश होने के बाद वायुसेना ने जांच के आदेश दे दिए हैं। दुर्घटना के कारणों की जांच के लिये कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की जा रही है। 

बीकानेर के पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा ने बताया कि वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 बीकानेर से लगभग 12 किलोमीटर दूर शोभासर की ढाणी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है।

करीब पांच दशक पुराने इन विमानों को बदलने की मांग लंबे समय से की जा रही है। 'फ्लाइंग कॉफिन' के तौर पर बदनाम इन विमानों को एचएएल द्वारा निर्मित देसी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस से बदलने की मांग की जा रही है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना (India Air Force) चार दशक पुराने मिग विमानों को अगले तीन साल में हटा देगी। इनकी जगह अत्याधुनिक राफेल विमान लेंगे। इस साल के आखिर में जैसे-जैसे राफेल विमान मिलने शुरू होंगे, पुराने मिग-21 विमानों को युद्धक भूमिका से हटाने का सिलसिला शुरू कर दिया जाएगा।  

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मिग-21 विमानों की संख्या अब सीमित रह गई है। मिग-21 की अब सिर्फ तीन स्क्वाड्रन बची हैं जिनमें करीब 40-45 मिग विमान हैं। ये विमान उन्नत किए हुए हैं जिन्हें मिग-21 बाइसन के रूप में जाना जाता है। हाल में एक मिग-21 बाइसन ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मारकर रिकॉर्ड कायम किया था। इनमें से कुछ विमान ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होते हैं। इस प्रकार 36 राफेल विमानों से मिग की स्वाड्रन को बदल दिया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, वायुसेना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पहले दो राफेल विमान इस साल के अंत तक वायुसेना को मिल जाएंगे। सभी 36 विमान 2022 तक आने की संभावना है। हालांकि, फ्रांस से जल्द से जल्द इनकी आपूर्ति को कहा गया है इसलिए संभावना है कि आपूर्ति और जल्दी हो सकती है। 

मिग विमानों को लेकर सरकार की चिंता इस बात को लेकर भी है कि ये विमान सामान्य उड़ान के दौरान भी हादसों का शिकार हो रहे हैं। पिछले 40-45 सालों में करीब 500 मिग विमान हादसों का शिकार हुए हैं। जिनमें 171 पायलट और 39 नागरिक मारे गए। 
मिग-21 बाइसन की ये हैं खासियत

मिग-21 बाइसन में एक बड़ा सर्च एंड ट्रैक रडार लगा है जो रडार नियंत्रित मिसाइल को संचालित करता है और रडार गाइडेड मिसाइलों का रास्ता तय करता है। इसमें बीवीआर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो आखों से ओझल मिसाइलों के खिलाफ सामान्य लेकिन घातक लड़ाकू विमान को युद्ध क्षमता के योग्य बनाता है।

इन लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक और इसकी कॉकपिट उन्नत किस्म की होती है। मिग-21 बाइसन, ब्राज़ील के अपेक्षाकृत नए एफ़-5ईएम फ़ाइटर प्लेन के समान है। मिग-21 बाइसन सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है जो लंबाई में 15.76 मीटर और चौड़ाई में 5.15 मीटर है। बिना हथियारों के ये करीब 5200 किलोग्राम को होता है जबकि असलहा लोड होने के बाद करीब 8,000 किलोग्राम तक के वज़न के साथ उड़ान भर सकता है।

सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने इसे 1959 में बनाना शुरु किया था। 1961 में भारत ने मिग विमानों को रूस से खरीदने का फ़ैसला किया था। बाद के दौर में इसे और बेहतर बनाने की प्रक्रिया चलती रही और इसी क्रम में मिग को अपग्रेड कर मिग-बाइसन सेना में शामिल किया गया। 

मिग-21 एक हल्का सिंगल पायलट लड़ाकू विमान है, और 18 हजार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है। इसकी स्पीड अधिकतम 2,230 किलोमीटर प्रति घंटे यानी 1,204 नॉट्स (माक 2.05) तक की हो सकती है। ये आसमान से आसमान में मार करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ और बम ले जा सकने में सक्षम है। 1965 और 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में मिग-21 विमानों का इस्तेमाल हुआ था। 1971 में भारतीय मिग ने चेंगड़ु एफ विमान (ये भी मिग का ही एक और वेरियंट था जिसे चीन ने बनाया था) को गिराया था।

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