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200 साल पुराने इस मंदिर की ऊंचाई और आकार देखकर हर किसी के दिल में ये ख्याल आएगा कि अंदर किसी भगवान की मूर्ति होगी। किसी देवी देवता की पूजा होती होगी। लेकिन खूबसूरत और आकर्षक डिजाइन वाले इस मंदिर में किसी भगवान का नहीं, बल्कि मेंढक देव का वास है।
वैसे तो भारत अपनी संस्कृति और अजीब परंपराओं के लिए भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ये खासियतें ही भारत को सारे देशों से अलग बनाती हैं। यहां ऐसे कई मंदिर हैं जहां जानवरों और कीड़े मकोड़ों की पूजा होती है। वैसे ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में मेढक की पूजा की जाती है।
लेकिन बात ये है कि इतने विशाल और 200 साल पुराने मंदिर में मेंढक की पूजा क्यों होती है!
मेंढक देव का यह मंदिर लखीमपुर-खीरी जिले के 'ओयल' कस्बें में स्थित है। ये मंदिर करीब 200 साल पुराना है। मान्यता है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए करीब 200 साल पहले इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। यहां के लोग मेंढक को देव की तरह पूजते हैं। लोगों का मानना है कि उनके गांव की रक्षा ये मेंढक देव ही करते हैं।
प्राकृतिक आपदा या किसी भी तरह की मुसीबत में मेंढक देव इनकी रक्षा करने स्वयं आते हैं। यूं तो हर रोज इस मंदिर में लोग आते हैं लेकिन इस मेंढक मंदिर में दीपावली और महाशिवरात्रि पर भी भक्त बड़ी संख्या में आते हैं और कई मन्नतें मांगते हैं।
वहां के स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि दूर दराज के लोग भी मेंढक देव में बड़ी आस्था दिखाते हैं। इस दीवाली अगर कहीं घूमने जाना है तो आप भी टिकट लेकर इस मेढक देव के मंदिर में घूमने जा सकते हैं।