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उत्तर प्रदेश की पुलिस के कारनामे किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। आए दिन उनके किस्से, महकमे की शान में चार चांद लगाते रहते हैं। इस बार जो जानकारी सामने आई है उसे जानने के बाद आप अपने सिर के बाल भी नोच सकते हैं। क्योंकि इस बार वो हुआ है जो अब तक साउथ की फिल्मों में नहीं दिखाया गया है।
घटना आगरा की है। यहां आज से करीब 5 साल पहले एक शख्स की बाइक गायब हो गई थी। मोटर साइकिल गायब हुई, थाने में रिपोर्ट कराई। फिर कई दिनों तक थाने के चक्कर लगाकर अपनी चप्पलें घिसा ली। थक हार कर मान लिया कि जो बाइक चोरी हुई थी। वह अब नहीं मिलेगी। वो भी भूल गया था और पुलिस वाले भी भूल गए थे कि बाइक चोरी हो चुकी है। लेकिन तभी ऐसा कुछ हुआ कि सारी कहानी ही पलट गई।
दो दिनों पहले, पीड़ित के पास चोरी हुई बाइक का चलान पहुंचा। फोटो चलान थाना हरिपर्वत पुलिस द्वारा किए गए थे जिसमें उल्लेख था कि आपने हेलमेट नहीं पहना था इसलिए आपको चालान की राशि भरनी पड़ेगी। पीड़िता का सिर भन्नाया, क्योंकि यह बाइक तो वही है जो साल 2013 में चोरी हुई थी और थाना एत्माद्दौला में इसकी रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी।
बाइक की खोज में पीड़ित शख्स हरिपर्वत चौराहे के पास चक्कर लगाने लगा। ये वही जगह है जहां आखिरी बार उसकी बाइक को देखा गया था। दो तीन चक्कर लगाने के बाद एक दिन पीड़ित को अपनी बाइक दिखाई दे गई। फिर क्या था, युवक ने बाइक सवार पर झपट्टा मार दिया। थोड़ी देर धक्का मुक्की के बाद पता चला कि यह बाइक चोरी की है। और जो शख्स इस बाइक को चला रहा है वो यूपी पुलिस का कर्मचारी है।
सिपाही ने बताया कि उसे बाइक सिकंदरा इलाके में लावारिस हालत में मिली थी जिसे वो ले आया था। मामला बिगड़ता हुआ देख सिपाही बाइक थाने में छोड़कर फरार हो गया। पीड़ित ने बताया कि बाइक उसकी है जोकि इटावा में उसके पिता के नाम से ली गई थी। मामले की चर्चा पूरे पुलिस महकमे में चटखारे ले-लेकर की जा रही है।
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