इसलिए बदलता है गिरगिट अपना रंग, कुदरत के करिश्मे पर यकीन नहीं करेंगे आप
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Fri, 04 Jan 2019 01:30 PM IST
वो कहावत तो सुनी होगी या कभी न कभी किसी को बोली भी होगी कि 'गिरगिट जैसे रंग बदलते हैं' क्योंकि अपने शिकारी को चकमा देने के लिए गिरगिट ही अपना रंग बदलता है। जिससे वह सामने वाले की आखों से एक पल के लिए गायब हो जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि गिरगिट अपना रंग कैसे बदलते हैं।उसके शरीर में ऐसी क्या चीज होती है जिससे वो अपना रंग बदलने लगता है। अगर नहीं जानते तो हम आपको बताएंगे गिरगिट के शरीर में वो क्या चमत्कारी चीज है जिससे वो अपना रंग बदलता है।
इस प्रक्रिया को जानने के लिए सबसे पहले आपको उसकी शारीरिक बनावट को जानना होगा।गिरगिट की त्वचा में खास कोशिकाएं होती हैं।जो इनके रंग बदलने के पीछे अहम होती हैं।तापमान बढ़ने और घटने पर इन कोशिकाओं में बदलाव होता रहता है।
यह बाहर के तापमान के हिसाब से कम ज्यादा होती है।जिसकी वजह से इनकी त्वचा का रंग भी बदलता है।त्वचा में ऊपर से नीचे पीली, गहरी भूरी, काली, सफेद कोशिकाएं होने से गिरगिट अपनी त्वचा का रंग अलग कर लेता है।साथ ही, जब तापमान कम होता है तो उसकी कोशिकाएं फैलती है जिससे उसका रंग गहरा हो जाता है।
जैसे धीरे धीरे तापमान ऊपर जाता है उसकी त्वचा में बदलाव आने लगता है।यही वजह है कि जब गिरगिट को खतरा होता है तो उसके शरीर का तापमान कम ज्यादा होता है।गिरगिटों में एक विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जिन्हें क्रोमैटोफ़ोर्स कहा जाता है। गिरगिट अपना रंग बदलने के लिए इन कोशिकाओं में हेरफेर करने में सक्षम होते हैं।
जब गिरगिट आराम की स्थिति में होता है, तो त्वचा में नैनोक्रिस्टल एक-दूसरे के करीब होते हैं और वे नीले और हरे रंग की तरह छोटी वेव लेंथ को दिखते हैं।जब गिरगिट उत्तेजित होता है, तो नैनोक्रिस्टल के बीच की दूरी बढ़ जाती है और यह लंबे वेव लेंथ को दर्शाता है। यह रंग बदलने की क्षमता गिरगिट के बारे में एकमात्र अनोखी बात नहीं है। वे एक ही समय में दो अलग-अलग दिशाओं में भी देख सकते हैं।