विस्तार
भाईसाहब 500 का खुला मिल जाएगा क्या? भईया 2000 का चेंज होगा आपके पास? खुल्ला दिजिए बहन,जी.. ये बातें रोजाना हमारे कानों से होकर गुजरती हैं। कई बार हम खुद इसका शिकार होते हैं तो कई बार दूसरों को इस दर्द से तड़पता देखते हैं। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण हैं कि सरकार ने नोटबंदी से पहले 2000 के नोट छापे और नोट बंद करने के ऐलान के बाद 500 के नोट।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार अब 200 रुपये के नोट छापना शुरू कर चुकी है लेकिन नोएडा के खोड़ा गांव के झुब्बन चच्चा सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं। सवाल पूछने गए हमारे संवाददाता से उन्होंने अपने दिल की बात शेयर की।
नोटबंदी के बाद की तकलीफ के बारे में बात करते हुए चच्चा के आँखों में नरमी बैठ गई। खैनी रगड़ने वाले हाथ से उन्होंने आंसू पोंछे तो आंखों में चूना रगड़ जाने से चीख निकल गई। जोर से चिल्लाते हुए कहने लगे
सरकारन के 15, 25 और 35 के नोट चलाए के चाही, अटउआ वाले कुल... छुट्टा के नाम से परेशान करलन… दू सौ के नोट चलाए से का हो जाई। हमारे संवाददाता ने जब उनके लिए खैनी रगड़ने में मदद की तो खुल के बताने लगे।
चच्चा खुद सब्जी की दुकान लगाते हैं, छुट्टे पर वो बताते हैं कि लोग 5 रुपये छुट्टे के नाम पर एक्स्ट्रा धनिया और मिर्चा के साथ एक-आध नींबू भी भर लेते हैं। ठंड के दिनों में जब नोटबंदी लागू हुई थी तो काफी लोगों ने 5 रुपये छुट्टा निपटाने के नाम पर दुकान पर खड़े-खड़े आधा-आधा किलो गाजर चबा ली थी।
झुब्बन चच्चा का मानना है कि सबसे ज्यादा नुकसान उनके साढ़ू के दामाद को हुआ जोकि नोएडा से गाजियाबाद के बीच ऑटो चलाता है। चच्चा के मुताबिक जिन सवारियों का किराया 7 रुपये होता है वो 5 रुपये टिका के चल देते हैं। 10 का नोट देकर 3 रुपये के लिए लड़ लेते हैं। इसलिए सरकार को 7 रुपये का नोट भी निकालना चाहिए। झुब्बन चच्चा के इस दर्द को सुनने के बाद हमारे संवाददाता रामभरोसे (काल्पनिक) पॉश कॉलोनीज में भी पहुंचे।
खोड़ा की पॉश कॉलोनी के पीले मकान के बाहर एक आंटी ‘हर माल 10 रुपये वाले से चिक-चिक कर रहीं थी’। उनका गुस्सा था कि जब हर माल 10 रुपये में चिल्ला कर ग्राहक को बुलाते हो.. तो चाय की छलनी 25 रुपये में क्यों ? संवाददाता ने उनसे छुट्टे की समस्या और 200 रुपये के नए नोट के बारे में पूछा तो वो भी झल्लाने लगीं। उनका गुस्सा को रामभरोसे पर ही उतर गया। चिल्लाने लगीं कि 200 रुपये के नोट का खुल्ला कौन कराएगा?
पत्रकार रामभरोसे को भी खोड़ा से नोएडा आते वक्त 20 रुपये किराया इसलिए देना पड़ा क्योंकि ऑटो वाले के पास 5 रुपये का छुट्टा नहीं था। जबकि किराया 15 रुपये होता है। कुल मिलाकर ऊपर से नीचे तक का निष्कर्ष ये है कि सरकार 200 रुपये का नोट छापे.... लेकिन इससे निचले तबके वाले लोगों को छुट्टे की राहत तो नहीं होने वाली, क्योंकि ये जिन दुकानों या व्यवसाय पर अपनी आमदनी और खर्चों के लिए निर्भर हैं वहां तो 5 रुपये की बड़ी अहमियत है।
फिरकी के लिए हमाई यानी रामभरोसे की रिपोर्ट