विस्तार
चूहा समाज सदमे में है और आंदोलन की सोच रहा है। गणपति की सवारी मूसक को इस बात से नाराजगी नहीं है कि उनका मजाक बात बात पर उड़ाया जाता है, बल्कि हैरानी इस बात की है कि उन्हें अब ड्रग्सखोर कहा जा रहा है। जी हां, नागपुर के चूहों को गांजे की लत है, बिहार के चूहे शराब पीते हैं, ये खबरें तो आपने पिछले दिनों पढ़ी ही होंगीं, अब खबर है कि मुंबई के चूहे उनसे सी आगे निकल गए और और ड्रग्स का सेवन करने लगे।
मुंबई पुलिस की मानें तो करीब 34 किलो कैटामाइन नाम की करीब 3.4 करोड़ रुपये की ड्रग्स चूहे खा गए। मुंबई पुलिस ने 2014 में करीब 200 किलो नशीला पदार्थ जब्त किया था और उसे सेवरी के कस्टम गोदाम में रखा था। ड्रग्स 20 सील बंद पैकेट्स में थी। लेकिन उनमें से 7 पैकेट खुले पाए गए और उनमें ड्रग्स की मात्रा भी कम थी। इस पुलिस वालों ने दावा किया है ड्रग्स को चूहों ने ही चट किया है। अगर कोई चोरी करता तो पूरा पैकेट चुराता।
इस बात पर चूहा समाज में खलबली मची है। चूहे एक जांच दल बनाकर अपने समाज का नाम बदनाम करने वाले आरोपी चूहों को खोज रहे हैं। हालांकि चूहों के ही एक दल ने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि यह समाज को बदनाम करने की सरासर साजिश है।
उनका कहना है कि चूहे इंसानों के खाद्य पदार्थों का नुकसान करते हैं, ये बात तो जगजाहिर हैं, लेकिन अब उन पर भयंकर नशा करने का आरोप लग रहा है। यह बात कुछ हजम नहीं होती। कहीं ऐसा तो नहीं जनाब, हजम कोई और कर रहा हो और आरोप हम पर लग रहा हो।
यानी शक के घेरे में मुंबई पुलिस भी है। खैर, अब चूहों को फंसाने की साजिश हैं या वे सच में गुनहगार हैं, फिलहाल इस बात से पर्दा नहीं उठा है। लेकिन इतना सच है कि वो दिन दूर नहीं जब भ्रष्टाचार के दूसरे मामलों में भी चूहों पर आरोप लगेंगे।