दुनिया में ऐसे कई अनोखे रेस्टोरेंट हैं जो किसी न किसी वजह से मशहूर हैं। ऐसा ही एक रेस्टोरेंट दिल्ली के एक बेहद व्यस्त इलाके में भी है, जहां घुसते ही आपकी मुलाकात सबसे पहले ऐसे शख्स से होगी जो न तो सुन सकता है और न ही बोल सकता है। खास बात ये है कि यहां काम करने वाले सारे वेटर बोलने और सुनने में असमर्थ (मूक-बधिर)हैं।
दक्षिणी दिल्ली के सत्या निकेतन इलाके में स्थित 'इकोज कैफे' की यही खास बात यहां आने वाले हर शख्स को इसका मुरीद बना देती है। इस कैफे में 16 लोगों का स्टाफ काम करता है, जिसमें पांच वेटर हैं और सभी मूक-बधिर हैं। इसके बावजूद कस्टमर को रिसिव करने, ऑर्डर लेने और सर्व करने से लेकर बिल देने तक का सारा काम ये लोग बिना किसी की मदद के बहुत अच्छे से करते हैं।
अपनी सीधी-सादी जिंदगी जी रहे पांच दोस्तों ने जब अपना स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया तो उनके दिमाग में बस एक ही बात थी कि वो व्यापार के साथ समाज के लिए भी कुछ करेंगे। इनके नाम हैं गौरव, क्षितिज, शिवांश, साहिब और प्रतीक। इनमें से गौरव, साहिब और प्रतीक पहले एक ही कंपनी में काम करते थे और एक ही कैब में ऑफिस आने जाने की वजह से इनकी मुलाकात जल्द ही दोस्ती में बदल गई।
इन पांचों दोस्तों ने बाद में तय किया कि वो अपना कैफे खोलेंगे, जिसमें वो शारीरिक अक्षमता के शिकार लोगों को रोजगार देंगे। प्रतीक ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रेस्त्रां में काम करने वाले अपने भाई शिवांश से इस बारे में बात की। शिवांश को आइडिया पसंद आया। उन्होंने प्रतीक से कहा कि वो अपने बचपन के दोस्त क्षितिज के साथ मिलकर ऐसा ही कुछ करने की सोच रहे हैं।
क्षितिज भी होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर नौकरी कर रहे थे। इस तरह पांच दोस्तों की टीम तैयार हुई और दिसंबर 2015 में इकोज कैफे शुरू हो गया। प्रतीक बताते हैं कि अपने कैफे के लिए उन्होंने घरवालों या किसी बैंक से कोई आर्थिक मदद नहीं ली, बल्कि पांचों ने नौकरी के दौरान अपनी बचत के पैसों से ही रेस्टोरेंट खोलने का फैसला किया।
यहां काम करने वाले वेटर भले ही बोलने और सुनने में असमर्थ हैं, लेकिन ये सब साइन लैंग्वेज बोलने और समझने में समर्थ हैं। ग्राहकों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए हर टेबल के साथ एक इलेक्ट्रिक स्विच लगाया गया है। ग्राहक के स्विच दबाते ही रिसेप्शन पर लगा बल्ब जल जाता है, जिससे वेटर को पता चलता है कि किस कस्टमर को उनकी जरूरत है या कोई ऑर्डर करना चाहता है।
ऐसे ग्राहक जो साइन लैंग्वेज नहीं समझते, उनके लिए कैफे के मेन्यू में खास इंतजाम किया गया है। हर डिश के सामने उसका एक खास (दो अंकों वाला) कोड नंबर लिखा है, जिसे ग्राहक ऑर्डर स्लिप यानी सादे कागज पर लिख कर वेटर को देता है। इससे वेटर को पता चल जाता है कि कस्टमर ने क्या ऑर्डर किया है।