आज मजदूर दिवस है। दुनिया के कई देशों में एक मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Labour Day 2019) मनाया जाता है, जिसे लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस और मजदूर दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देश की लगभग सभी कंपनियों में छुट्टी रहती है।
दुनिया के लगभग 80 देशों में मजदूर दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। हालांकि कई देशों में इसे अनाधिकारिक तौर पर मनाया जाता है। यूरोप में तो इसे पारंपरिक तौर पर बसंत की छुट्टी घोषित किया गया है। वैसे तो एक मई को ही मजदूर दिवस मनाया जाता है, लेकिन अमेरिका और कनाडा में यह सितंबर महीने के पहले सोमवार को होता है।
अंतरराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई, 1886 को हुई थी। दरअसल, अमेरिका के मजदूर संघों ने फैसला किया कि वे 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे और इसको लेकर संगठनों ने हड़ताल कर दी।
एक मई, 1886 को अमेरिका की सड़कों पर तीन लाख मजदूर उतर आए। शिकागो में 4 मई, 1886 को मजदूर आठ घंटे काम की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान शिकागो की हेय मार्केट में एक जोरदार बम धमाका हुआ। प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर ही गोली चला दी, जिसमें सात मजदूरों की मौत हो गई जबकि 100 से ज्यादा मजदूर घायल हो गए।
शिकागो शहर में शहीद मजदूरों की याद में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया। साल 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में एलान किया गया कि हेय मार्केट नरसंहार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। साथ ही साथ मजदूर दिवस पर सभी मजदूरों की छुट्टी होगी।
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई, 1923 से हुई। उस समय इसको मद्रास दिवस के तौर पर मनाया जाता था। इसकी शुरुआत भारती मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने की थी। उनका कहना था कि दुनियाभर के मजदूर इस दिन को मजदूर दिवस के तौर पर मनाते हैं, तो भारत में भी इसको मान्यता दी जानी चाहिए। इस पर वहां कई जनसभाएं और जुलूस आयोजित किए गए और मजदूरों के हितों के प्रति ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई। इसके बाद मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता मिल गई।