दुनिया में इतने अजूबे हैं की इनके विषय में जानते-जानते आप थक जायेंगे लेकिन इतनी बड़ी दुनिया में सदियों से होते आ रहे ऐसे आयोजन या घटनाएं जो खत्म नहीं होते हर बार कुछ नया और अचंभित कर देने वाली बात सामने आ ही जाती है।इसी तरह दुनिया में सैकड़ों ऐसी परंपराएं हैं जिनके विषय में सुनकर आपको हैरानी तो होगी ही और आप ये भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे की ये सच है या नहीं। कुछ कठोर, हास्यप्रद, अनोखी और अविश्वसनीय प्रथाओं में महिलाओं से संबंधित एक ऐसी प्रथा भी है जिसे कोई भी शादीशुदा महिला पति के जीवित होते हुए कभी नहीं कर सकती है।
शादी के बाद पति-पत्नी का साथ उम्र भर के लिए बन जाता है। पति की मृत्यु हो जाने पर तो पत्नी के लिए जिंदगी काटना भी मुश्किल हो जाता है। उत्तर प्रदेश में एक गांव ऐसा भी है जहां हर साल महिलाएं तीन महीने के लिए विधवा हो जाती हैं।
दरअसल, यूपी के दवरिया का भेलवाड़ा जिले जहां पर सुहागिन औरतें हर साल तीन महीनों तक कोई श्रृंगार नहीं करतीं। सादे कपड़े पहनती हैं और बिल्कुल विधवा की तरह जीवन जीती हैं। इन महीनों में हर तरफ अजीब सी मायूसी और मातम का माहौल बना रहता है।इसके पीछे एक परंपरा है जिसे हर महिला को निभाना होता है।
मई से लेकर जुलाई तक का समय यहां रहने वाली महिलाओं के लिए कष्टदायक होता है। इसके पीछे का कारण यहां के मर्दों का पेड़ों से ताड़ी निकालना है।इस बात को जानकर अजीब लगेगा कि इन महीनों में ताड़ के पेड़ से ताड़ी निकालने का काम होता है।यह वृक्ष 50 फिट से भी ज्यादा ऊंचे और स्पाट होते हैं। इन पर चढ़ने से कई लोगों की गिर कर मौत भी हो जाती है। पतियों के घर से दूर जाने पर महिलाएं इस गांव में इस तरह का माहौल बना लेती हैं। जब पति सही सलामत घर लौट आते हैं तो सारे गांव में उनका जोरदार स्वागत किया जाता है।