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What Happened After The Mahabharata War To Pandavas And Sri Krishna
किताबों ने हमें कभी नहीं बताया कि महाभारत युद्ध के बाद क्या हुआ!
Updated Mon, 20 Jun 2016 04:43 PM IST
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विस्तार
महाभारत में ज़िदगी से जुड़ सभी सवाल के जवाब मिल जाएंगे। मानव इतिहास में इसे सबसे भीषण युद्ध कहा गया जाता है। 18 दिन तक चले इस युद्ध में उस समय के भारत के करीब 80% पुरुष मारे गए थे। तभी से हमें यह बताया जा रहा है कि पांडवों ने कौरव सेना को हरा कर अपना अधिकार उनसे प्राप्त कर लिए। मगर कभी शायद किसी ने यह नहीं बताया कि इस धर्मयुद्ध में जीत के बाद पांडवों का क्या हुआ? उन्होंने कितने वर्ष तक राज किया? श्रीकृष्ण का क्या हुआ?
अगर आपको भी इस तरह के तमाम सवालों के जवाब नहीं, मालूम, तो यह रहे इसके जवाब:
1. कुरुक्षेत्र का रण जीतने के बाद, युधिष्ठिर हस्तिनापुर के सिंहासन पर विराजित हुए। मगर शुकाकुल गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि उनके यदुवंश का भी नाश कौरवों की तरह निश्चित ही होगा।
2. पांडवों ने 36 सालों तक हस्तिनापुर पर राज किया। इस दौरान गांधारी के श्राप ने अपना असर दिखाया और द्वारका नगरी में यदुवंशी आपस में ही एक-दूसरे को मारने लगे। इस तरह उनके वंश का पतन शुरु हो गया।
3. एक शिकारी ने गलती से श्रीकृष्ण की ऐड़ी में तीर मार दिया, जिसके चलते उनकी ‘मृत्यु’ हो गई। इसके बाद उन्होंने मानव शरीर का त्याग कर दिया। इस घटना के बाग, ऋषि वेद व्यास ने अर्जुन से कहा कि अब पांडवों के जीवन का उद्देश्य खत्म।
4. इसके साथ ही द्वापर युग अपने अंतिम समय पर आ गया और कलियुग की शुरुआत हुई। युधिष्ठिर ने अपने पौत्र परिक्षित को राज्यभार दे दिया और पांचों पांडव द्रौपदी के साथ स्वर्ग की ओर निकल पड़े। उनके साथ एक कुत्ता भी उनके साथ चल दिया।
5. उनकी स्वर्ग यात्रा के दौरान एक के बाद एक करके पांडवों की मृत्यु होने लग गई। सबसे पहले द्रौपदी की मृत्यु हुई। मृतकों में भीम अंतिम थे। सभी की मृत्यु के कारण उनकी इच्छाओं और कामनाओं के अभिमान से जुड़े थे। युधिष्ठिर और उस कुत्ते के अलावा कोई और स्वर्ग तक नहीं पहुँच पाया।
6. स्वर्ग के द्वार पर कुत्ता यम के रूप में प्रकट होता है और युधिष्ठिर को अंदर लेकर जाते हैं। इससे पहले वो युधिष्ठिर को नर्क के नज़ारे दिखाते हैं, जहां द्रौपदी और उनके भाई अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। इसके बाद इंद्र युधिष्ठिर को स्वर्ग लेकर जाते हैं उन्हें बताते हैं कि जल्द ही वे सब भी स्वर्ग आएंगे।
इस तरह श्रीकृष्ण और पांडवों ने इस संसार से विदा ली। इसके बाद कलियुग का आरंभ हुआ, जिसे हम आज की दुनिया मानते हैं।
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