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रेस्टोरेंट में खाना खाने बाद क्यों देते हैं टिप, कब से हुई इसकी शुरुआत, जानिए क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Shashi Shashi Updated Wed, 14 Jul 2021 04:25 PM IST
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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : pixabay
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जब लोग अपने दोस्तों या फिर परिवार के साथ जब रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो ज्यादातर लोग टिप जरुर देते है। जैसे अगर किसी रेस्टोरेंट में जब वेटर हमारे पास बिल लेकर आता है तो हम उस बिल में थोड़े से पैसे एक्ट्रा रख देते हैं, जो वेटर के लिए होते हैं। इसे ही टिप कहा जाता है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ये टिप आखिर क्यों दी जाती है और आपको इसके बारे में कैसे पता चला। आखिर ये टिप देने की परंपरा की शुरुआत कब से और कैसे हुई। एक समय पर टिप देने के परंपरा का विरोध भी हुआ और टिप की जगह सर्विस चार्ज लगाया जाने लगा लेकिन ग्राहको पर जबरन सर्विस चार्ज लगाने की शिकायत के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा कहा गया कि ये पूरी तरह से स्वैच्छिक है, अगर ग्राहक को सर्विस पसंद आती है तो वह सर्विस चार्ज दे सकता है ये उसके ऊपर निर्भर करता है। रेस्टोरेंट वालो का तर्क था कि सर्विस चार्ज इसलिए लगाया जाता ताकि सभी वेटरो को समान टिप मिल सके, फिलहाल सर्विस चार्ज अलग है लेकिन आज भी टिप देने की  ये पंरपरा बदस्तूर जारी है लोग अगर किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में जाते हैं तो टिप जरुर देते हैं। तो चलिए जानते हैं कि क्या हैं इन सारे सवालों के जबाब और क्या है, टिप देने के पीछे की पूरी कहानी।

 
 

इस समय हुई टिप देने की शुरुआत
माना जाता है कि खाने के बाद टिप की परंपरा अंग्रेजों के द्वारा 1600 ई. में की गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय में अग्रेजों की हवेली में काम करने वाले सेवादारों या कर्चारियों को उनके अच्छे काम की सरहाना करने के तौर पर एक छोटी धन राशि देने की शुरुआत की गई थी। जिसके बाद ये एक चलन बन गया।

टिप देने के पीछे और भी हैं कहानी
फिलहाल टिप देने की शुरुआत को लेकर और भी कहानियां प्रचलित हैं। foodwoolf नाम की वेबसाइट के अनुसार अमेरिका में टिपिंग की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई थी। न्यूयॉर्क में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ होटल एडमिनिस्ट्रेशन में प्रोफेसर माइकल लिन के मुताबिक अमेरिका में टिप देने की शुरुआत अमीर लोगों के द्वारा दिखावे के रुप में की गई थी। इस समय लोग अपना एक रुतबा दिखाने के लिए कर्मचारियों को टिप दिया करते थे। इससे अलावा माइकल लिन का यह कहना भी है कि टिप की शुरुआत ब्रिटेन में 17 शताब्दी में ही हो गई थी। उस समय शराब पीने वाले लोग वेटर को इसलिए टिप दिया करते थे ताकि उनको जल्दी शराब दी जाएगी और खासतौर पर उनकी शराब का ध्यान रखा जाएगा। 
 

क्या है TIP की फुल फॉर्म
ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार ‘टिप’ शब्द का सबसे पहला प्रयोग 1706 ई. में  हुआ। कहा जाता है कि TIP का फुल फॉर्म To Insure Promptitude है यानी यह इस बात का संकेतक है कि टिप देने वाले को जल्दी और अच्छी सर्विस दी जाएगी लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो TIP की इस फुल फॉर्म को एक अफवाह करार देते हैं।

टिप देने की परंपरा खत्म करने के हुए प्रयास 
जब 1764 ई. में  ब्रिटेन के होटल, रेस्तरां, पब आदि में कर्मचारियों को भत्ता देना आम कर दिया गया तो अभिजात्य वर्ग (अमीर तबका) के लोगों के द्वारा टिप देने की परंपरा को खत्म करने की कोशिश भी की गई। इसके बाद इसे लेकर लंदन में काफी हो-हल्ला भी हुआ और अमेरिका में पत्रकारों ने भी 1904 में  इसकी निंदा की। उनका कहना था कि अमेरिका की संस्कृति में गुलामी जैसी चीजे शामिल नहीं है जबिक टिपिंग यानी टिप देने की परंपरा एक तरह की गुलामी को प्रदर्शित करता है। 


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इसके बाद जॉर्जिया में टिपिंग को खत्म करने के लिए एक एंटी-टिपिंग सोसाइटी ऑफ अमेरिका का गठन किया गया। जिसके बाद वाशिंगटन सहित छह अमेरिकी राज्यों ने टिपिंग (टिप देने की परंपरा) विरोधी कानून पारित किया। हालांकि सभी अमेरिकी राज्यों के द्वारा 1926 में टिपिंग विरोधी कानूनों को निरस्त भी कर दिया गया।

आज के समय में टिप देना अमेरिका और यूरोपियन देशों से बाहर पूरी दुनिया के ज्यादातर देशों में एक आम परंपरा की तरह चलन में आ गया है। अब सिर्फ होटल या रेस्त्रां में ही नहीं बल्कि होम डिलीवरी, रुम सर्विस, टैक्सी सर्विस आदि पर भी टिप दी जाने लगी है। वैसे तो टिप देना आवश्यक है यह कहीं भी नहीं लिखा, फिर भी अमेरिका ब्रिटेन आदि देशों में टिप देना एक नियम जैसा हो गया है लेकिन आज भी कुछ होटलों और रेस्त्रां के संचालक टिप की परंपरा पर प्रतिबंध लगाकर इसके बदले कर्मचारियों के अच्छा वेतन देने की सिफारिश करते हैं। 

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