Home Feminism 55 000 Women Become Rani Mistri In Ranchi Under Swasth Bharat Mission To Make Toilets

55000 महिलाएं बनीं एक राज्य की रानियां, वजह भी है चौकाने वाली

फिरकी टीम, नई दिल्ली Published by: Pankhuri Singh Updated Mon, 17 Dec 2018 11:46 AM IST
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55,000 women become rani mistri in Ranchi under swasth bharat mission to make toilets
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किसी देश या राज्य में एक रानी का राज तो आपने जरूर सुना होगा लेकिन क्या कभी ये सुना है की किसी राज्य में 55000 महिलाएं रानियां बन गयी हों। जी हां, सुनने में काफी अटपटा लगता है कि इतनी बड़ी तादाद में महिलाएं एक ही राज्य की रानियां बन गयी हैं लेकिन ये बात सच है।

इनको ये पद विरासत में नहीं मिला है बल्कि ये अपनी मेहनत से यहां तक पहुंची हैं। साथ ही, ये महिलाएं राजा-रानी वाली रानी नहीं, बल्कि 'रानी मिस्त्री' बनी हैं जो इमारत बनाने के काम में माहिर हैं। 





 
एक रिपोर्ट के मुताबिक, रांची के दुबलिया गांव 55000 रानी मिस्त्रियां वो महिलाएं हैं जिन्हें पिछले एक साल में सरकार ने रानी मिस्त्री बनने की ट्रेनिंग दी। ये ट्रेनिंग एक खास कार्य हेतु कराई गयी थी ताकि झारखंड को खुले में शौच करने से मुक्त राज्य बनाया जा सके. ये ट्रेनिंग 'स्वस्थ भारत मिशन' के अंतर्गत कराई गयी।

जिसमें इन महिलाओं को टॉयलेट बनाने की ट्रेनिंग दी गई. रानी मिस्त्रियों की मदद से झारखंड ने एक साल से भी कम समय में 15 लाख से ज्यादा टॉयलेट्स बना लिए हैं। इन रानी महिलाओं की मेहनत का नतीजा है कि 15 नवंबर 2018 को झारखंड ने अपने आप को खुले में शौच से मुक्त राज्य घोषित किया था। 



 
गांव में सभी घरों में टॉयलेट न होने के कारण राज्य में सभी के लिए शौलाचय बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी थी।स्वस्थ भारत मिशन के तहत सभी के घर में शौलाचय हो ये मिशन पूरे देश में जारी है। झारखण्ड में लगभग 50,000 राज मिस्त्री हैं पर वो टॉयलेट नहीं बनाना चाहते थे।

गांव की एक महिला के सुझाव पर महिलाओं को इसके लिए ट्रेनिंग दी गई और फिर पूरे राज्य में महिलाएं इसके लिए आगे बढ़कर आगे आईं। राज मिस्त्री की तरह ही इन महिलाओं को रानी मिस्त्री बनने की ट्रेनिंग दी गई। साथ ही पुरुष मिस्त्रियों के बराबर हर दिन 400 रुपए मजदूरी भी दी जाती है।महिलाओं को ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट्स भी दिए गए। 



झारखण्ड में महिलाओं द्वारा की गयी ये पहल काफी सराहनीय है और बेशक इनका दर्जा किसी रानी से कम नहीं है।झारखंड में महिलाओं ने साडी बाधाओं को तोड़ते हुए मजदूरी कर 15 लाख से ज्यादा टॉयलेट्स बनाने का काम किया है।बता दें की, ये महिलाएं पहले भी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी थीं. जिसके चलते इन्हें काम भी मिला और पहचान भी मिली। बहरहाल, इन महिलाओं के पास भले ही महारानियों वाला ठाठ बाट न हो लेकिन इनके बुलंद इरादे और मजबूत हौसले इन्हे दुनिया की भीड़ से अलग बनाते हैं। 



 
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