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रोटी, कपड़ा और मकान ये तीन मूलभूत जरूरतें हैं। रोटी और कपड़ा का इंतजाम होने के बाद नंबर आता है मकान का, कुछ के पास तो इतना है कि उनके घर में एक कमरा तो उनके कुत्ते के लिए ही होता है, कुछ के पास इतना है कि उन्हें लालच आता है और वह आपस में लड़ने लगते हैं। पर सब इतने लकी नहीं होते इसलिए कुछ खुले आसमान के नीचे सोने को भी मजबूर होते हैं। लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा असह्य वो स्थिति है जहां आपके सिर पर छत तो है और आपका कमरा भी है लेकिन वह इतना छोटा है कि आपको कॉफिन बड़ा लगने लगेगा।
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यह जगह हॉन्ग-कॉन्ग में है। और इन घरों को कॉफिन होम कहा जाता है।
यहां कॉलगेट, कैलेण्डर, पानी, कलम और आप खुद सब कुछ एक ही बेड पर है।आपको पूरे पैर फैलाने तक की जगह नहीं है।
जहां आपका किचन है वहीं आपका बाथरूम भी है, ये बात सोचने में ही कितनी अजीब है लेकिन यहां लोगों की ऐसी मजबूरी है।
इस तस्वीर में दिखाई देने वाले पिंजरों में अक्सर मुर्गी या पक्षियों को रखा जाता है लेकिन यहां इंसान भी इसी पिंजरे में रहने को मजबूर है।
बच्चे भी यहां उन्हीं परिस्थितियों में पढाई कर रहे हैं, वह शायद इस उम्मीद से पढ़ रहे हैं कि अपने भविष्य को इन कॉफिन से निकाल सकें।
यही है वो रंग बिरंगी बिल्डिंग जिसमें ये कॉफिन हाउस बने हुए हैं जिसमें लोगों की जिंदगी फीकी सी लगती है।