Home Fun M Karunanidhi Used To Wear The Same Sunglasses Around 50 Years Know The Reason

करुणानिधि सिर्फ काला चश्मा ही क्यों पहनते थे, वजह है बड़ी दिलचस्प

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Wed, 08 Aug 2018 05:12 PM IST
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M Krunanidhi
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एक लेखक जननेता और तमिलनाडु जैसे समृद्ध राज्य के 5 बार मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि का निधन हो गया। करुणानिधि को कलाईनार भी कहा जाता था। कलाइनार यानी लेखन कला का प्रेमी। दक्षिण भारत की राजनीति में करुणानीधि का नाम हमेशा अदब से लिया जाएगा। उनके विरोधी भी उनके मुरीद रहे। कलाईनार के ताबूत पर लिखा गया है कि एक शख्स जो बिना आराम किए काम करता रहा, अब वह आराम कर रहा है।

करुणानिधि अपनी छवि को लेकर बेहद गंभीर रहे। आखिरी बार तक जब उन्हें सार्वजनिक मंचों पर देखा गया था तो एम करुणानिधि अपने पुराने स्टाइल काला चश्मा, सफेद शर्ट, पीली शॉल और दूध की तरह सफेद धोती में दिखाई देते रहे। इन सफेद खादी के साथ काले चश्मे के पीछे एक मजेदार कहानी छिपी है। 

एम करुणानिधि फिल्मों में कहानियां लिखने का शौक रखते थे। अब जिसे लिखने का शौक होता है जाहिर सी बात है कि उसे पढ़ने का भी खूब शौक होगा। 1954 में उनकी बाईं आंख में कुछ परेशानी हो गई। डॉक्टर ने उन्हें किताबों से दूर रहने को कहा। अब किताबी इंसान के लिए यह बात किसी सजा से कम नहीं। करुणानिधि आंख में दवाई डालते और पढ़ते रहते। धीरे-धीरे आंखों की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया। 

आंखों से जुड़ी एक और बात कही जाती है कि 1967 में एक हिंदी विरोधी आंदोलन के दौरान करुणानिधि के सिर पर एक पुलिस वाले की लाठी लग गई थी। इस घटना के बाद आंखों की समस्या और बढ़ गई। अमेरिका में इलाज हुआ तो डॉक्टर ने सलाह दी कि करुणानिधि काला चश्मा पहने। इसके बाद करुणानिधि ने भारत आकर एक काला चश्मा बनावाया और उसे 50 साल तक पहना। 1967 के बाद से ये चश्मा उनकी पहचान के साथ लोगों के दिल और दिमाग पर भी चढ़ गया।  

करुणानिधि अपने चश्मे का ख्याल बच्चों की तरह रखते थे। परिवार का कोई सदस्य हो या फिर पार्टी का कोई वरिष्ठ साथी। करुणानिधि के चश्मे को कोई नहीं छू सकता था। वो खुद ही उतार सकते थे और खुद ही पहन भी सकते थे। लेकिन साल 2017 में डॉक्टर्स ने करुणानिधि को बताया कि यह काला चश्मा खराब हो चुका है और इसे और अब इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। 

 
करुणानिधि के लिए नए चश्मे की तलाश शुरू हुई। 40 दिनों तक एक अभियान चलाया गया लेकिन करुणानिधि को कुछ पसंद ही नहीं आ रहा था। आखिर में चेन्नई के विजया ऑपटिक्स ने जर्मनी से एक चश्मा मंगवाया जोकि करुणानिधि को कुछ पसंद आया। इस चश्में को साल 2017 में करुणानिधि ने पहना।  

 
उनके करीबी बताते हैं कि करुणानिधि अपने लुक्स को लेकर काफी एक्टिव रहते थे। तबियत खराब हो या फिर समय की कमी। बिना दाढ़ी बनाए वो घर से बाहर नहीं निकला करते थे। कुछ इसी तरह का स्टाइल करुणानिधि के चिर प्रतिद्वंद्वी एमजीआर का भी था। वह भी काला चश्मा और टोपी लगाया करते थे। एमजीआर की मौत के बाद जब उन्हें दफनाया गया तो उनके साथ ही उनका काला चश्मा और टोपी को भी दफना दिया गया था। 

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