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इसलिए रेलवे ट्रैक के बीच में और दोनों तरफ डाले जाते हैं पत्थर, ये है खास वजह

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Sat, 08 Dec 2018 05:43 PM IST
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Why Are There Stones Between the Railway Tracks Indian Railway
- फोटो : social media
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विस्तार

भारत में प्रतिदिन लाखों लोग रेलगाड़ी से सफर करते हैं। हम में से अधिकांश लोगों ने रेल की पटरियों को अवश्य देखा होगा। लेकिन रेल की पटरियों के बीच और दोनों तरफ छोटे-छोटे पत्थर क्यों बिछाए जाते हैं, शायद ही इस बारे में आपने कभी सोचा हो। आज हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि रेल की पटरियों के बीच और इसके दोनों किनारों पर गिट्टियां क्यों डाली जाती हैं।

सबसे पहले तो ये कि रेलवे ट्रैक पर गिट्टियां इसलिए डाली जाती हैं कि पटरियों के बीच में घर्षण ना हो क्योंकि रेल काफी भारी भरकम होती है और जब वह चलती है तो इससे बहुत ज्यादा घर्षण होता है। उसको कम करने के लिए गिट्टियां बिछाई जाती है। गौर देने वाली बात यह है कि भारत में शायद ही कोई ऐसा रेलवे ट्रैक हो जहां गिट्टी ना डाली जाती हों इन विशेष प्रकार की गिट्टियों को बलास्ट कहते हैं।
 

रेल की पटरियों के बीच छोटे-छोटे पत्थर बिछाए जाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। शुरूआती दौर में रेलवे ट्रैक का निर्माण इस्पात और लकड़ी के पटरों की मदद से किया जाता था, लेकिन आज के समय में लकड़ी के पटरों के बदले सीमेंट की आयताकार सिल्लियों का प्रयोग किया जाता है, जिसे 'स्लीपर्स' कहा जाता है। 

वास्तव में रेल की पटरियों के बीच छोटे-छोटे पत्थर बिछाने का उद्देश्य लकड़ी के पटरों या सीमेंट की सिल्लियों को अपने स्थान पर मजबूती के साथ स्थिर रखना है ताकि ये सिल्लियां रेलवे ट्रैक को मजबूती के साथ पकड़े रहे। 
 

दरअसल जब ट्रेन चलती है तो उससे जमीन और पटरियों में कंपन पैदा होता है। इसके अलावा तेज धूप से पटरियां फैलती हैं और सर्दियों में सिकुड़ती हैं। इससे ट्रेन का पूरा भार लकड़ी या सीमेंट की सिल्लियों पर आ जाता है, लेकिन पटरियों के बीच पत्थर बिछे होने के कारण सारा भार इन पत्थरों पर चला जाता है। जिसके कारण कंपन, पटरियों का सिकुड़ना, ट्रेन का भार सभी संतुलित हो जाते हैं।

इसके साथ ही रेल की पटरियों के बीच पत्थर बिछाने की एक वजह यह भी है कि जब रेलवे ट्रैक से होकर भारी-भरकम ट्रेन गुजरे तो उसके भार का संतुलन बना रहे और जमीन को कोई नुकसान ना पहुंचे।इसके अलावा रेल की पटरियों के बीच पत्थर बिछाने से बारिश का पानी आसानी से बहता है और रेल की पटरियों के बीच और उसके दोनों ओर कीचड़ नहीं होता है। इसके अलावा रेल की पटरियों के बीच पत्थर बिछाने से ध्वनि प्रदूषण से भी बचाव होता है।
 

गिट्टियों की मात्रा रेलवे ट्रैक के हिसाब से बिछाई जाती हैं। गिट्टी की गहराई भी यातायात की घनत्व के साथ भिन्न होती है, क्योंकि तेज और भारी यातायात में अधिक स्थिरता की आवश्यकता होती है। गिट्टी की मात्रा भी वर्षों में बढ़ती जाती है क्योंकि अधिक से अधिक गिट्टी को ढेर कर दिया जाता है। 1897 की रिपोर्ट से कुछ आंकड़े इस प्रकार हैं-
  • first class line- 60 lb/yd (29.8 kg/m) rail- 1,700 cu yd/mi (810 m3/km).
  • second class line- 41.5 lb/yd (20.6 kg/m) rail- 1,135 cu yd/mi (539 m3/km).
  • second class line- 41.5 lb/yd (20.6 kg/m) rail- 1,135 cu yd/mi (539 m3/km).
आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहते हैं कि भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। भारतीय रेलवे नेटवर्क 66,687 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और इसके अंतर्गत 7,216 स्टेशन तथा 1,19,630 किमी ट्रैक शामिल है।

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