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Madhya Pradesh Farmer Find A Innovative Jugaad For Irrigation By Using Sing Waste Glucose Bottles
सिंचाई के लिए किसान ने निकाली जबरदस्त तकनीक, अच्छे-अच्छे वैज्ञानिक भी हो जाएंगे मुरीद
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by: Ayush Jha
Updated Fri, 31 Jul 2020 02:58 PM IST
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- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
अपने यहां ज्यादातर लोग किसान हैं, जिन्हें हम लोग अन्नदाता भी कहते है क्योंकि इनके द्वारा उगाए अन्न से ही हमारा पेट भरता है। अब ये बात तो हम सभी जानते है कि अपने यहां किसानों को पानी की बढ़ी किल्लत होती है, लेकिन इस समस्या को दूर करने के लिए किसान ने जुगाड़ निकाला है जो वाकई काबिले तारीफ है।
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ में रमेश बारिया जोकि एक किसान हैं, ये इलाका पहाड़ी क्षेत्र में आता है, जिस कारण यहां फसल कम होती है। रमेश ने अपने इलाके की दिक्कत वैज्ञानिकों को बताई, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि सर्दी और बरसात के मौसम में छोटे से पैच में सब्जी की खेती शुरू करे। इस तरह की खेती के लिए उनकी जमीन उचित है।
जिसके बाद रमेश ने यहां करेला, स्पंज लौकी उगाना शुरू किया और एक छोटी सी नर्सरी भी बनाई, लेकिन मानसून की देरी के कारण पानी की भारी कमी हो रही थी। ऐसे में उनकी फसल जल्दी खराब हो जाती थी, इस समस्या को लेकर रमेश ने फिर से विशेषज्ञों का सुझाव लिया। उन्होंने बताया कि वे वेस्ट ग्लूकोज की पानी की बोतलों की मदद ले सकते हैं। इससे उन्होंने एक सिंचाई तकनीक अपनाई।
रमेश ने 20 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब ग्लूकोज की बोतलें खरीदी, जिसके बाद उन्होने इनलेट बनाने के लिए बोतल के ऊपरी हिस्सों को को काट दिया और फिर पौधों के पास लटका दिया। इस खाली ग्लूकोज की बोतलों से ड्रिप इरीगेशन सिस्टम बना दिया। इन बोतलों की मदद से पानी बूंद-बूंद करके खेतों में चला जाता है।
इस तकनीक की मदद से वो एक सीजन में 0.1-हेक्टेयर भूमि से 15,200 रुपये कमा लेते है। रमेश की इस तकनीक से ना तो पौधे सूखे और ना ही पानी की बर्बादी हुई। गांव के बाकी लोगों को भी रमेश का आइडिया जबरदस्त लगा, उन्होंने ने भी इस तकनीक को अपनाया। वेस्ट प्लास्टिक को भी उन्होंने यूज में ले लिया। रमेश बारिया को जिला प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री की सराहना के साथ-साथ प्रमाण पत्र से सम्मानित किया।
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