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अभी पिछले दिनों सोशल मीडिया पर खूब हंगामा हुआ था कि लाल किले को किसी प्राइवेट कंपनी वालों को बेच दिया गया है। सरकार की एडॉप्ट ए हेरिटेज स्कीम के तहत डालमिया ग्रुप ने लाल किले की जिम्मेदारी ली थी। सरकार की बड़ी आलोचना हुई, सोशल मीडिया पर न खत्म होने वाले लंबे लंबे स्टेटस लिखे गए। ऐसा लगा कि प्राइवेट कंपनी वाले लाल किले को तुड़वा कर वहां 2बीएचके और 3बीएचके फ्लैट निकाल देंगे।
लोगों को पता ही नहीं था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग पिछले 5 महीने से लाल किले की सफाई में जुटा हुआ था। लोग वहां झाड़ू पोछ लेकर पहुंचे तो देखा कि 2 मीटर ऊंची मिट्टी की परतें जमी हुई हैं। फिर बड़ी बड़ी मशीनों को बुलाना पड़ा। अधिकारियों का कहना है कि अगर इसे साफ नहीं किया जाता तो किले का एक हिस्सा धूल के बोझ से ही गिर जाता।
लाल किले के मेन इंट्रेस को लाहौरी गेट कहते हैं। लाहौरी गेट की छत पर आज से करीब 100 साल पहले अंग्रेजों ने चांदनी चौक पर नजर रखने के लिए मिट्टी का ढेर लगाया गया था। तब से लेकर आजतक इसकी सफाई नहीं कराई गई थी। गेट के दोनों तरफ से करीब 25 लाख किलो मिट्टी को हटाया गया है, अब इन दीवारों के आस पास सैंड स्टोन लगाए जाएंगे ताकि दीवार की नमी को बरकरार रखा जा सके।
लाल किले की प्राचीर से हर साल देश के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भाषण देते हैं। अधिकारियों ने बताया कि वहां भी इतनी गंदगी थी कि अगर साफ सफाई नहीं की जाती तो आने वाले कुछ दिनों में ये हिस्सा भी गिर सकता था।
जरा सोचिए, क्या स्थिति है हमारे देश की। जिन इमारतों का बखान करते हुए हम इतराते हैं, उनकी ये हालत है जबकि हर देश के प्रधानमंत्री का चक्कर वहां लगता है। उन इमारतों का क्या हाल होगा जहां सिर्फ सैलानी मौज मस्ती के लिए जाते हैं।