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पाकिस्तान को लगता है कि वह भारतीय सीमाओं पर गोले बरसाएगा, आतंकियों की घुसपैठ कराए, भारत में अशांति और अस्थिरता के लिए फंडिग करेगा और भारत उसे इस काम के बदले रोटी देगा! इतिहास गवाह है पड़ोसी मुल्क से शांतिपूर्ण रिश्तों के लिए हिंदुस्तान ने न जानें कितनी बार हाथ बढ़ाया और पाक ने हमारी रहमदिली का हरबार फायदा उठाया। इस बार फिर वह इसी गलतफहमी में है। अमृतसर में भारत-पाक सीमा पर पिछले आठ दिनों से रेल और ट्रकों से होने वाला व्यापार ठप है। इसकी वजह से सैकड़ों भारतीय ट्रक जहां कि तहां खड़े हैं।
ट्रकों में करोड़ों रुपये का बाजरा है भरा है। इसके अलावा ट्रैक्टर, ट्रॉलियों के टायर, जड़ी-बूटियां और मेडिकल की किताबों से भी भरे ट्रक पाकिस्तान में प्रवेश की राह देख रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान है कि एक ओर वह ट्रकों को मुल्क में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहा है और दूसरी ओर अपनी भूखी आवाम के लिए बाजरा मांग रहा है।
भारत-पाक के बीच शिमला समझौता हुआ तो रेल कार्गो के जरिए दोनों मुल्कों के बीच व्यापार शुरू हुआ। दोनों मुल्कों के बीच रेल मार्ग से हर वर्ष अरबों का व्यापार होता है। लेकिन बीते दो वर्षों से पाकिस्तान रेल से होने वाले व्यापार को अहमियत नहीं दे रहा है। एक हफ्ते से मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए पाक इजाजत न देकर अड़ंगा डालकर बैठा है।
हमारे सहयोगी अखबार अमर उजाला की खबर के मुताबिक रेल कार्गो में पिछले पांच दिनों से इंतजार कर रहे ट्रक ड्राइवर राम सिंह कहते हैं कि रोहतक से आया हूं। मालगाड़ी पाकिस्तान न जाने के कारण ट्रक का भाड़ा बढ़ रहा है।
मेरठ से आए ट्रक ड्राइवर जोगिंदर सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान के नखरे अब सहे नहीं जाते। भारत को चाहिए, व्यापार बंद ही कर दे।
पाक का यह रुख समझ नहीं आ रहा है, यह उसकी ना'पाक' हरकत ही कही जाएगी कि एकतरफ वह भारत के खिलाफ जितनी आशांति की कोशिशें हो सकती हैं, उन्हें अंजाम देने से बाज नहीं आ रहा है और दूसरी तरफ अपने मुल्क में रोटी की कमी को पूरा करने के लिए भारत से बाजरा मांग रहा है। फिलहाल दोनों मुल्कों के बीच तनाव के चलते आम आवाम पिस रही है, भारत की तरफ से अब जवाब नहीं दिया गया है।