Home Satire Holi Festival 2019 Writers Satire Articles

Holi 2019: कवि घसीटा खूब गद् गद थे

अरविंद तिवारी Published by: Pankhuri Singh Updated Wed, 20 Mar 2019 01:00 PM IST
विज्ञापन
holi festival 2019 writers satire articles
विज्ञापन

विस्तार

मैंने पुरानी पत्रिकाओं और अखबारों के अंकों से लेखक मित्रों की रचनाएं घसीटा को उपलब्ध करवाईं। मित्र की पत्रिका का होली विशेषांक रंगीन पन्नों में सज-धजकर निकला। मेरे पुराने संपादक मित्र के साथ कवि घसीटा भी खूब गद् गद थे। उन्होंने और मैंने लिखना साथ ही शुरू किया, इसलिए वह मेरे बहुत पुराने मित्र हैं। होली से एक माह पहले उनका फोन आया कि वह मुझसे मिलने मेरे शहर आ रहे हैं। मैंने कहा, "होली-दिवाली पर तो फोन करते नहीं, अचानक इतना स्नेह... बात हजम नहीं हो रही।" वह बोले, "वही बैकलॉग पूरा करने आ रहा हूं।'' मैं खुश था, क्योंकि बहुत अरसे बाद उनसे मिलना हो रहा था। वह प्रतिभाशाली लेखक थे, लेकिन लेखन के शुरुआती दौर में ही एक घाघ संपादक ने उन्हें अपनी पत्रिका का अतिथि संपादक बनाकर, उनकी प्रतिभा पर ग्रहण लगा दिया था।

उसके बाद उन्होंने खुद ही एक साहित्यिक पत्रिका निकाली थी, जो मासिक से त्रैमासिक होकर अब बंद होने के कगार पर थी। आए, तो गर्मजोशी से मिले। उन्होंने बताया कि वह अपनी पत्रिका का होली विशेषांक निकालकर फिर से पत्रिका को लाइम लाइट में लाना चाहते हैं। इस महती कार्य के लिए वह मुझे इस विशेषांक का अतिथि संपादक बनाना चाहते हैं। इतना सुनते ही मेरे सफेद से चेहरे पर लालिमा दौड़ गई, गो कि हम तीन साल तक सरकारी पत्रिका के संपादक रह चुके थे, पर साहित्यिक पत्रिका की और बात है। मेरे मन में अबीर और गुलाल के फव्वारे फूट पड़े! उन्होंने यह भी बताया कि इस विशेषांक को वह फोर कलर में छापना चाहते हैं, हालांकि अब तक उनकी पत्रिका ब्लैक एंड व्हाइट ही रही है। मेरे मन के रंग और गाढ़े हो गए।
मैंने अतिथि संपादक बनने की हामी भर दी। चलते समय उन्होंने एक ऐसी बात कही कि मेरे मन के सभी फव्वारे अचानक सूख गए। उनका कहना था कि पत्रिका को रंगीन बनाने के लिए अतिथि संपादक को बीस हजार रुपये की आर्थिक सहायता पत्रिका फंड में करनी होगी। मैंने फौरन प्रस्ताव अस्वीकार करते हुए उन्हें सूचित किया कि इन दिनों मेरी राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, आप कोई और अतिथि संपादक खोज लें। मेरा जवाब सुनकर उनके फागुनी मन पर बर्फबारी शुरू हो गई।

इसके दस दिन बाद उनका फोन आया कि कोई मिल नहीं रहा है, अतः आप अपने शहर के किसी नए लेखक या कवि को तैयार कर लें। मैंने अनमने मन से लोकल कवि घसीटा से बात की, तो आश्चर्य का ठिकाना न रहा। घसीटा उनकी शर्तों पर तैयार हो गए। लेकिन घसीटा ने शर्त रखी कि इस विशेषांक हेतु रचनाएं जुटाने का काम मुझे करना होगा। मैं मान गया। मैंने पुरानी पत्रिकाओं और अखबारों के अंकों से लेखक मित्रों की रचनाएं घसीटा को उपलब्ध करवाईं। कुछ अभिन्न मित्रों से लिखवा भी लीं। मित्र की पत्रिका का होली विशेषांक रंगीन पन्नों में सज-धजकर निकला।
मेरे पुराने संपादक मित्र के साथ कवि घसीटा भी खूब गदगद थे। जाहिर है मुझे भी गद् गद होना पड़ा। अभी गद् गद होने को कायदे से सेलिब्रेट भी नहीं कर पाए थे कि ऐन होली से एक दिन पहले सबके चेहरों का रंग उड़ गया। मध्य प्रदेश और बिहार के एक-एक लेखक ने अतिथि संपादक और स्थायी संपादक, दोनों को कानूनी नोटिस भेजते हुए पूछा कि उनकी रचनाएं बिना अनुमति के कैसे छाप लीं? असल में मेरे मना करने के बावजूद पुराने मित्र ने लेखकों के पते पर विशेषांक भेज दिया। बिहार के लेखक ने दस हजार रुपये और मध्य प्रदेश के लेखक ने बीस हजार रुपये का हर्जाना मांगा था।

हकीकत यह थी कि जिन पत्रिकाओं से मैंने उनकी रचनाएं ली थीं, वे पत्रिकाएं पारिश्रमिक ही नहीं देती हैं। उधर, पत्रिका के स्थायी संपादक भी मुझे फोन करके मामले को सुलझाने का निवेदन कर रहे थे। उन्होंने अपने जवाब में पूरी जिम्मेदारी कवि घसीटा के ऊपर डाल दी थी। कॉपीराइट एक्ट का पहली बार सार्थक प्रयोग हो रहा था। घसीटा मेरे शहर के थे, ऐसे में संबंधों को लेकर मेरा चिंतित होना स्वाभाविक ही था। मैंने बिहार और मध्य प्रदेश के अपने खास मित्रों से मामले को सुलटाने का निवेदन किया।

बिहार का मामला तो सुलट गया, पर मध्य प्रदेश का लेखक नहीं माना। चूंकि वह लेखक मूंछें भी रखता था, इसलिए उसने इस प्रकरण को मूंछ का सवाल बना लिया। अंततः वह दो हजार के हर्जाने पर माना। ये रुपये घसीटा की जेब से गए, पर उन्होंने खुशी-खुशी इसलिए दे दिए, क्योंकि पत्रिका की अच्छी सामग्री के कारण पत्रिका लाइमलाइट में आ गई थी। साहित्य में चर्चा होने लगी कि छोटे शहर में भी प्रतिभाशाली संपादक रहते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree