Home Science The Most Expensive Blood Of Horseshoe Crab Which Is Used For Making Vaccine And Detecting Bacteria Infection

अजब-गजब: इस केकड़े के खून की कीमत है 11 लाख रुपए लीटर, वैक्सीन बनाने में आता है काम

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: संकल्प सिंह Updated Mon, 07 Jun 2021 05:13 PM IST
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होर्सशू केकड़े
होर्सशू केकड़े - फोटो : Pixabay
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दुनिया भर में कई चीजें ऐसी हैं, जिनकी मांग काफी ज्यादा है। इस कारण कई लोग इनको पाने के लिए लाखों करोड़ों रुपए तक चुकाते हैं। केकड़ों की एक प्रजाति का नाम है 'हॉर्सशू' इस केकड़े के एक गैलन (तकरीबन 4 लीटर)  खून की कीमत 60 हजार डॉलर यानी 44 लाख रुपए है। इस हिसाब से एक लीटर खून की कीमत 11 लाख रुपए है। इस खून का इस्तेमाल मेडिकल फील्ड में कई जगहों पर किया जाता है। हॉर्सशू केकड़े के खून की कई सारी विशेषताएं हैं। इन्हीं विशेषताओं के चलते इसके खून की कीमत काफी ज्यादा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस केकड़े का आकार घोड़े के नाल की तरह होता है। इसी वजह से इसे हॉर्सशू कहा जाता है। आप में से कई लोगों ने अब तक जितने भी जीवों के खून देखें होंगे वे सभी लाल होते हैं। वहीं हॉर्सशू केकड़े के खून का रंग लाल ना होकर नीला होता है। इसके खून का इस्तेमाल बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए किया जाता है।
हॉर्सशू केकड़े के खून के अंदर भारी मात्रा में कॉपर पाया जाता है। यही एक बड़ा कारण है, जिसके चलते इसके खून का रंग नीला होता है। कॉपर के चलते ही इसके खून के अंदर कई विशेषताएं पाई जाती हैं। इसके खून में खास तरह का लिमुलस एमिबेकाइट लाइसेट (LAL) पाया जाता है, जो वैक्सीन या मेडिकल टूल में बैक्टीरिया की मिलावट का पता लगाने का काम करता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 1970 से पहले वैज्ञानिकों के पास LAL के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं थी। इस वजह से वैक्सीन टेस्ट करने के लिए वे खरगोशों को इंजेक्शन देते थे और लक्षणों के आधार पर उसकी प्रभावशीलता के बारे में पता लगाते थे। इसमें काफी समय लगता था। हालांकि 1970 में एलएएल के उपयोग की मंजूरी मिल गई। इसके चलते एक बहुत बड़ा बदलाव मेडिकल फील्ड में देखने को मिला।
वैज्ञानिक हॉर्सशू के खून को फिल्टर करके उससे एलएएल को निकालते हैं। वैक्सीन शोध के दौरान इसकी कुछ बूंदे मेडिकल डिवाइस पर डाली जाती है। इसके कुछ देर बाद एलएएल ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया को जेली कोकून में बंद करके मार देता है। एलएएल के जरिए वैक्सीन के दुष्परिणामों के बारे में पहले ही पता लग जाता है।
दुनिया भर के समुद्रों में बड़े स्तर पर हॉर्सशू क्रैब को पकड़ा जा रहा है। मेडिकल इंडस्ट्री पकड़े गए हर एक होर्सशू केकड़ों के अंदर से 30 प्रतिशत खून निकालती है। इस प्रक्रिया में कई केकड़ों की जानें चली जाती है और जो केकड़े जिंदा बचते हैं उन्हें दोबारा समुद्र में छोड़ दिया जाता है। हॉर्सशू केकड़ों का बड़े स्तर पर शिकार हो रहा है। इस कारण इंटरनेशनल यूनियन फॉर दि कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने अमेरिकन हार्सशू केकड़ों को रेड लिस्ट में डाल दिया है। कहा ये जा रहा है कि अमेरिका के अंदर आने वाले 40 सालों में हॉर्सशू केकडों की आबादी 30 प्रतिशत तक घट जाएगी।
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