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बाहुबली द बिगनिंग में जंजीरों से लिपटी एक बुढ़िया की हालत देख दर्शक बेचैन हो उठते हैं। फिल्म के इस भाग में देवसेना की एंट्री एक खूबसूरत वीरांगना के तौर पर होती है जो लुटेरों से निपटने के लिए एक पालकी में सवार होकर आती है और बिजली की रफ्तार से उन पर मौत बनकर टूट पड़ती है। उसकी तलवार के प्रहारों से दुश्मन ढेर हो जाते हैं। देशाटन पर निकले बाहुबली और कटप्पा दूर खड़े टकटकी लगाकर देवसेना को घूरते हैं।
माहिष्मति साम्राज्य का होने वाला महाराज अमरेंद्र बाहुबली वीरांगना को लड़ता देख मन ही मन उस पर फिदा हो जाता है। बाहुबली को ऐसा करने के लिए पैसे मिलते हैं, क्योंकि वह महज किरदार जी रहे होते हैं, लेकिन सिनेमा हॉल में बैठा दर्शक, जो पैसे लगाकर फिल्म देखने गया होता है, वह कन्फ्यूज रहता है कि देवसेना की खूबसूरती को निहारे या उसकी कहर बरपाती तलवारबाजी को। कुलमिलाकर दर्शक कुछ देर के लिए दुनिया से एकदम जुदा हो जाता है और देवसेना के किरदार की रत्नारी लपटों में खुद को हार जाता है। अनुष्का शेट्टी के लिए यही उनके करियर की सबसे बड़ी कमाई कही जा सकती है।
अब आते हैं असल मुद्दे पर... देवसेना फिल्म में महाभारत की पांचाली द्रौपदी की तरह हैं जो पूरी पूरी लड़ाई का केंद्र बिंदु बन जाती हैं। देवसेना ही राजमाता शिवगामी का वचन टूटने का कारण बनती हैं। जबकि पूरी फिल्म में शिवगामी देवी कहती हैं मेरा वचन ही शासन है... देवसेना ही बाहुबली की प्रेयसी बनती हैं। देवसेना और बाहुबली की प्रेम कहानी भल्लालदेव को उसके भ्रष्ट सियासी मंसूबे पूरा करने की उम्मीद देती हैं और वह शिवगामी देवी से देवसेना को पाने का वचन मांग लेता है। इधर देवसेना की जीवन भर रक्षा करने का वचन बाहुबली उसे देता है। माहिष्मति साम्राज्य में वचन की कीमत है, फिर चाहे कीमत प्राणों की आहूति देकर ही क्यों न चुकानी पड़े।
देवसेना से भल्लादेव के रिश्ते के लिए शिवगामी देवी सोने के आभूषणों समेत तमाम उपहार कुंतल राज्य भेजती हैं और उसे बहू बनाने का संदेश भी। बाहुबली और कटप्पा मन ही मन मुस्काते हैं और समझते हैं कि उनकी मां उनके मन की बात समझती है, लेकिन देवसेना को शिवकामी के भेंट और संदेश अहंकारपूर्ण प्रतीत होते हैं और वह रिश्ता ठुकरा देती है।
यह बात शिवगामी देवी को नागवार गुजरती है। वह बाहुबली को राजपंछी के जरिए संदेश भेजती है कि देवसेना को बंदी बना लिया जाए। इधर बाहुबली संदेश मिलने से पहले देवसेना के राज्य पर हुए दुश्मन के हमले से निपट रहे होते हैं और देवसेना को भी बीच-बीच में तीर-कमान की ट्रेनिंग देते हुए उनका मन जीत रहे होते हैं। उनके पूछने पर बाहुबली सही समय आने पर परिचय देने की बात कहते हैं।
आखिर में बाहुबली मां का आदेश पाकर देवसेना को बंदी बनाने पर विवश होते हैं। देवसेना कहती हैं कि बाहुबली के प्रेम में वह दासी बनकर भी जाने को तैयार हैं लेकिन बात स्वाभिमान की हो तो उनसे निपटना होगा। प्रेम पाश में बंधे बाहुबली देवसेना को बंदी नहीं बनाते हैं, बल्कि उनके प्राणों और मर्यादा की रक्षा का वचन देकर सम्मान पूर्वक उन्हें माहिष्मति ले जाने के लिए मना लेते हैं।
सफर खूबसूरत नाव में कटता है, जो पानी पर तैरते हुए बादलों में उड़ने लगती है। पूरा दृश्य जादुई होता है, दर्शक उसमें धंसा चला जाता है। अनुष्का और बाहुबली स्वर्गलोक के देवी और देवताओं की भांति प्रेम संगीत गा रहे होते हैं। बादलों के घोड़े उड़ रहे होते हैं। आखिर में वे माहिष्मति पहुंचते हैं। देवसेना अपने भेजे जवाब के लिए राजमाता शिवगामी से मांफी मांगती हैं।
शिवगामी देवसेना से उसके होने वाले पति के पास खड़े होने के लिए कहती हैं। देवसेना बाहुबली के पास जाने लगती है तो शिवगामी की आंखें फटी रह जाती हैं। वह उसे रोकती है और अपना वचन पूरा करने पर उतर आती हैं। बाहुबली देवसेना के सामने ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। शिवगामी क्रोध में आग बबूला हो जाती हैं क्योंकि उन्हें बेटे की तरह पाले गए बाहुबली से ऐसे आचरण की आशा नहीं होती है। शिवगामी देवी भल्लादेव को महाराज बनाने की घोषणा कर देती हैं।
देवसेना गर्भवती होती हैं तो कुमार वर्मा उनकी गोदभराई में उपहार लाते हैं। भल्लादेव इस मौके पर देवसेना को उपहार देने के नाम पर बाहुबली को सेनापति के पद से यह कहकर हटा देता है कि वह काफी वक्त देवसेना को दे पाएगी। इससे नाराज देवसेना बाहुबली से उपहार के रूप में माहिष्मति के सिंहासन मांगती है और उससे महाराज बनने की बात कहती है। सेनापति न रह जाने पर बाहुबली आम इंसान हो जाता है और देवसेना भी।
देवसेना महादेव के मंदिर जाती हैं, जहां भल्लाल का चुना सेनापति उनसे और महिलाओंं से बदतमीती करता है। सेनापति महिलाओं को छेड़ने लगता है। वह देवसेना की तरफ भी हाथ बढ़ाता है, लेकिन इससे पहले कि वह देवसेना का स्पर्श कर पाए, वह सेनापति की अंगुलियां कटार से काट देती हैं।
भल्लाल की अदालत में गर्भवती देवसेना को बेड़ियों में जकड़कर बतौर बंदी पेश किया जाता है। सेनापति से बात पूछी जाती है, वह बात को बरगलाने लगता है। तभी बाहुबली आता है और देवसेना से पूरी बात पूछता है। देवसेना जैसे ही छेड़खानी के विरोध में अंगुली काटने की बात कहती हैं, बाहुबली कहते हैं कि अंगुली नहीं गर्दन काटनी चाहिए थी और एक प्रहार से सेनापति की गर्दन उड़ा देते हैं। देवसेना और बाहुबली पर राजद्रोह लगता है और उन्हें राज्य से निकाल दिया जाता है।
जनता के बीच बाहुबली की लोकप्रियता कम न होती देख बिज्जलदेव और भल्लाल षड़यंत्र रचकर बाहुबली को शिवगामी के आदेश पर कटप्पा से मरवा देते हैं। देवसेना पुत्र को जन्म देती है और शिवगामी देवी के पास आती है। उससे पहले कटप्पा बाहुबली के मारे जाने वाले षड़ंयंत्र का खुलासा कर चुके होते हैं। शिवगामी देवी तब तक देवसेना की दुनिया उजाड़ चुकी होती हैं। देवसेना नन्हें बालक को शिवगामी देवी को सौंपती है और महल में ही रह जाती है। भल्लाल देवसेना को बंदी बना लेता है और जंजीरों से जकड़ देता है। देवसेना को आखिरकार उसका पुत्र महेंद्र बाहुबली छुड़ाता है और फिल्म चलती रहती है। कुलमिलाकर देवसेना कहानी की रीढ़ साबित होती हैं।