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फिल्म 'बाहुबली 2 द कन्क्लूजन' कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है। पहले दिन ही फिल्म ने सवा सौ करोड़ से ज्यादा की कमाई कर डाली। हो भी क्यों न... राजामौली एंड टीम ने फिल्म बनाई ही ऐसी है। कहने को फिल्म की मुख्य भूमिका में प्रभास हैं जो बाहुबली का किरदार निभाते हैं, लेकिन एक किरदार शुरू से लेकर अंत तक बाहुबली के साथ रहता है और जिसके बिना इस फिल्म की पटकथा की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, उस किरदार का जादू ही कहिए कि फिल्म के प्रमोशन के लिए स्टारकास्ट को ज्यादा जद्दोजहद भी नहीं करनी पड़ी। उसके बारे में यह बात भी कही जा सकती है कि उसने माहिष्मति साम्राज्य पर तो शासन नहीं किया लेकिन वह लोगों के दिलों पर राज करता रहेगा।
बात कटप्पा की है। 2015 में आई 'बाहुबली द बिगनिंग' का दि एंड कटप्पा से ही होता है। बाहुबली की पीठ में कटप्पा तलवार आर-पार कर देता है और वह सीन सवाल छोड़ जाता है कि आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? सवाल माउथ पब्लिसिटी बन जाता है। सवाल पर जोक्स बनते हैं। 'बाहुबली 2' देखने की वजह भी सवाल ही बनता है। फिल्म के पहले शो तक सवाल... सवाल ही रहता है कि कटप्पा ने आखिर बाहुबली को क्यों मारा? कुलमिलाकर इस सवाल को भी फिल्म की सफलता के लिए क्रेडिट देना चाहिए।
कटप्पा यानी माहिष्मति साम्राज्य का वफादार सेवक, जिसके दादा-परदादा भी कसम खाकर माहिष्मति की रक्षा करते आए थे और उसी का अक्षरश: पालन किया कटप्पा ने। यही वजह रही कि बाहुबली को जान से मारने वाला कटप्पा निष्पाप लगता है और मरते हुए बाहुबली भी उसे दोषी नहीं पाता है। बाहुबली जब तक जिंदा रहा, कटप्पा को मामा कहता रहा। यहां तक की देवसेना ने उसे बाप तक का दर्जा दिया।
कटप्पा ने हालांकि बाहुबली को मारने से पहले मोहवश अपने वचन को तोड़ने की कोशिश की, उसने बाहुबली से गुजारिश की कि वह उसे छोड़कर भाग जाए, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, जिसको निर्देशक राजामौली ने तय किया था... और वह होकर रही, यानी कटप्पा ने बाहुबली को मार ही डाला।
देखा जाए तो कटप्पा का किरदार फिल्म में भारी है, इतना कि वह इसके अस्तित्व के जैसा लगता है। फिल्म में राजमाता शिवगामी देवी अगर कहती हैं कि उनका वचन ही शासन है तो यह बात भी कटप्पा के होने से ही संभव हो पाया।
बिज्जल और भल्लाल देव से लाख बेइज्जत होने पर भी कटप्पा विचलित नहीं होता है। बाहुबली के दूसरे पार्ट में दोनों विलेन कटप्पा को 'कुत्ता' शब्द से संबोधित करते रहे, लेकिन कटप्पा को फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि कुत्ता कहे जाने पर कटप्पा बिज्जलदेव को ऐसा जवाब देता है कि वह सोच में पड़ जाता है। सीन तब का है जब बिज्जलदेव भल्लाल से उसकी मां शिवगामी को मारने की बात कहता है और कटप्पा आ जाता है। बिज्जलदेव जब कटप्पा से पूछता है- ...तो तुमने सुन लिया। कटप्पा फटाक से कहता है- कुत्ता हूं, सूंघ लिया। हॉल में बैठे दर्शक इस बात पर ठहाका भी लगा देते हैं।
कटप्पा का सबसे धुआंदार जवाब तब आता है जब बाहुबली और उसकी सेना नारियल के पेड़ों के जरिए हैरतअंगेज तरीके से माहिष्मति महल में घुसकर मारकाट मचाती है। बिज्जलदेव संकट की इस घड़ी में कटप्पा को धर्म का पालन करने की सीख देता है और कहता है कि तू तो माहिष्मति का वफादार है, तेरे बाप-दादाओं ने सिंहासन की रक्षा की कसम खाई थी और तू भी बाहुबली साथ दे रहा है। इस पर कटप्पा अपने जवाब से ही बिज्जलदेव पर बज्र जैसा प्रहार कर देता है। कटप्पा कहता है कि मैं धर्म का ही पालन कर रहा हूं, राजमाता शिवगामी देवी ने उसी बालक (महेंद्र बाहुबली) को ही महाराज घोषित किया था। ...और बिज्जलदेव चारों खाने चित हो जाता है।
बाहुबली को राजमाता जब देशाटन के लिए भेजती हैं तो कटप्पा ही उनके साथ जाता है और लड़ाई हो या कॉमेडी, हर जगह अपनी छाप छोड़ता है।
देखा जाए तो कटप्पा को फिल्म में भरपूर फुटेज मिली है। कुलमिलाकर बिना कटप्पा के बाहुबली की कल्पना नहीं की जा सकती है। कटप्पा के किरदार से सीख मिलती है कि पूर्वजों का आदर बनाए रखो और वचन की रक्षा के लिए कड़ुवे से कड़ुवे अनुभव हों तो उन्हें होने देना चाहिए, क्योंकि यह बात सदियों से चलती आई है कि प्राण जाए पर वचन न जाई। वचन की ताकत होती है, उसका महत्व होता है, जिसे कटप्पा के किरदार ने बहुत ही जबरदस्त तरीके से फिल्मी परदे पर उतारा। फिल्म बाहुबली की जब तक चर्चा रहेगी, कटप्पा के नाम की चर्चा जरूर होगी, या यूं कहिए कि कटप्पा के किस्से सदियों तक सुनाए जाएंगे और उस एक्टर के जिसने यह रोल निभाया। कटप्पा बने हैं सत्यराज... उनकी तारीफ बनती है।