दीपाली अग्रवाल, टीम फिरकी, नई दिल्ली
Updated Fri, 05 Jan 2018 12:23 PM IST
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सरकार की ओर से जोर-शोर से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत कई शौचालय बनवाए गए हैं और साथ ही सड़कों की सफाई भी की जा रही है । इन योजनाओं को लेकर देश की जनता में भी जागरुकता नजर आती है ।
लेकिन इन प्रयासों के बाद भी कई जगह ऐसी हैं जहां ऐसे ही एक अभियान की जरुरत महसूस होती है। तमिलनाडु के शहर तिरुवन्नमलाई के हालात भी कुछ ऐसे ही थे । यह शहर मंदिरों के लिए खासा मशहूर है । लेकिन ये मंदिर जिन तालाबों से कभी पानी लिया करते थे, वक्त के साथ उपेक्षा के कारण उनमें गंदगी का साम्राज्य हो गया । प्रशासन से मदद मांगने पर भी कोई एक्शन नजर नहीं दिखाई दिया।
लेकिन जहां के लोग जागरुक हों वहां हालात कभी सोए हुए नहीं रह सकते। इसी तरह तिरुवन्नमलाई शहर के युवाओं ने इन टैंको को साफ करने का बीड़ा उठा लिया । बिना प्रशासन की मदद के उन्होंने पूरे तालाबों को साफ करने के बाद लगभग 15 से 20 टन का कचरा बाहर निकाला । जिसमें प्लास्टिक और मेडिकल वेस्ट भी शामिल था । उन्होंने 34 हफ्तों में ये काम कर दिखाया ।
इस अभियान में लगभग 30 युवा शामिल रहे । इन युवाओं ने सितंबर 2016 में सफाई अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने छुट्टी के दिन 4 से 5 घंटे तालाब की सफाई के लिए तय किए थे । इस ग्रुप की एक सदस्य इन टैंको की पूर्व स्थिति को याद करते हुए कहती हैं कि बचपन में उन्होंने इन टैंको को साफ देखा था, लेकिन ड्रैनेज का पानी छोड़ने के बाद इनकी हालत और बदतर होती गई । इसके बाद सबने मिलकर इन्हें साफ करने का फैसला किया । इस मिशन को 'नीर थुली' यानी पानी की बूंद का नाम दिया गया। सबसे पहले पूमांथल कुलम को साफ करने की योजना बनी और उसके बाद धीरे-धीरे सारे तालाबों को साफ कर दिया गया। इन तालाबों से लगभग 15 से 20 टन कचरा निकला । 34 हफ्तों में इन तालाबों को पुनर्जीवित कर दिया गया और अब इनका पानी 'थेम्स' जैसा साफ नजर आने लगा है ।
इन युवाओं ने हमें यह प्रेरणा दी है कि अगर हम ठान लें तो बिना किसी सहायता के भी आगे बढ़ सकते हैं और कारवां खुद ब खुद बनता चला जाएगा । यहां के लोगों और मंदिरों के लिए यह एक सार्थक और लाभदायक पहल है । जिस तरह जल की समस्या गहराती जा रही है, उसके लिए भी यह आवश्यक है कि हम अपने संसाधनों की हिफाजत कर उन्हें उपयोगी बनाएं ।