विस्तार
सऊदी अरब में महिलाओं पर कई तरह की सामाजिक बंदिशें हैं और इसीलिए वहां इस्लामी कानून और जातीय रीतिरिवाजों का सख्ती से पालन किया जाता है। इसी कारण महिलाओं और लड़कियों को पूरी जिंदगी किसी पुरुष अभिभावक पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यानी जिस देश में महिलाओं को ड्राइविंग तक की इजाजत नहीं दी गई वहां कई विरोध के बावजूद स्कूलों में लड़कियों के लिए देश के इतिहास में पहली बार शारीरिक शिक्षा विषय की पढ़ाई शुरू करने की घोषणा की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब के शिक्षामंत्री की यह घोषणा देश में महिला आजादी के लिए बड़ा कदम मानी जा रही है। सऊदी शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि शारीरिक शिक्षा लड़कियों के लिए आगामी शैक्षिक सत्र से शुरू होगी। इसके लिए देश के नियमों में ढील दी गई है। घोषणा में इस बात का विवरण नहीं दिया गया कि उन्हें कौन सी गतिविधियों की पेशकश की जाएगी लेकिन कहा गया कि उन्हें इस्लामी कानून के अनुसार धीरे-धीरे पेश किया जाएगा।
सऊदी अरब में इस्लामी कानून के चलते महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में अपने बाल और शरीर तक को ढंककर रखना पड़ता है।
इस मुस्लिम देश में ड्राइविंग या विदेश यात्रा तक के लिए महिलाओं को किसी पुरुष अभिभावक की अनुमति लेनी पड़ती है। मेडिकल उपचार तक के लिए महिलाओं को पिता, पति या बेटे से इजाजत लेनी पड़ती है। सऊदी अकादमी में महिलाओं के इतिहास का अध्ययन कर रही हातून अल-फासी ने कहा कि - यह सारी रूढ़िवादिता महिलाओं के स्त्रीत्व की रक्षा करने के लिए है। उन्हें और अन्य महिला अधिकार प्रचारकों को इस फैसले में देश की लड़कियों के लिए नई संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।
सऊदी अरब में लड़कियों की शारीरिक शिक्षा को लेकर काफी विवाद रहा है। रूढ़िवादी महिलाओं के लिए ऐसी शिक्षा को अश्लील मानते हैं। देश के अहम मामलों में सलाहकार की भूमिका निभाने वाली शूरा ने 2014 में शारीरिक शिक्षा विषय को मंजूरी दी थी लेकिन शूरा के इस फैसले को पश्चिमीकरण कहते हुए कभी लागू नहीं किया गया। जबकि इस साल की शुरूआत में सलाहकार परिषद ने महिलाओं को जिम के लिए भी इजाजत दी थी। इस फैसले को लेकर रूढ़िवादियों का विरोध नहीं चल पाया और प्रगतिवादी हावी रहे।
गुलामों की तरह है महिलाओं की जिंदगी
सऊदी अरब में महिलाओं की जिंदगी गुलामों की तरह है। 2011 में महिलाओं ने वूमन2ड्राइव के तहत सोशल मीडिया पर ड्राइविंग की तस्वीरें पोस्ट कीं, लेकिन कामयाब नहीं रहीं। यहां औरतें मर्द के बगैर घर में नहीं रह सकती हैं। यदि घर में कोई मर्द नहीं है तो गार्ड का होना जरूरी है। तंग कपड़ों में महिलाएं घर से बाहर नहीं जा सकती हैं। वे मेकअप का भी अधिक उपयोग नहीं कर सकती हैं। सार्वजनिक स्थलों पर उनके लिए अलग प्रवेश द्वार होते हैं। देश की तरफ से जब 2012 में पहली बार महिला एथलीट्स लंदन ऑलंपिक गईं तो कट्टरपंथी नेताओं ने उन्हें यौनकर्मी तक कहा।