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रियो से इंडिया के लिए बड़ी खुशखबरी, एक ही दिन में दो मेडल, एक गोल्ड और एक ब्रोंज! 'साब्बास'!
Updated Sat, 10 Sep 2016 12:16 PM IST
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विस्तार
रियो से इंडिया के लिए खुशखबरियां आनी अभी बाकी है। वो सफर से साक्षी मालिक के ब्रोंज मेडल के साथ शुरू हुआ था। फिर पीवी सिंधु के सिल्वर के साथ थोड़ी देर ठहरा। लेकिन रुका नहीं।
अब वहीं रियो में ही पैरालम्पिक्स चल रहे हैं। इसी में शुक्रवार को इंडिया का खाता खुल गया। और एक साथ दो मेडल हाथ आए। एक गोल्ड और एक ब्रोंज। सबसे मस्त बता कि दोनों ही मेडल एक ही गेम से मिले हैं। टी-42 हाई जंप में। गोल्ड मेडल मिला है मरियप्पन थान्गावेलु को और ब्रोंज मिला है वरुण भांटी को।
पैरालम्पिक्स, ओलंपिक की ही तरह खेल प्रतियोगिता है। जिसमें दुनियाभर के खिलाड़ी भाग लेते हैं। लेकिन ये ओलंपिक दिव्यांग लोगों के लिए आयोजित की जाती है। या आम भाषा में कहें तो स्पेशली एबल्ड लोगों के लिए। ओलंपिक के दौरान जिस तरह पूरी मीडिया पगलाई हुई थी। पैरालम्पिक्स के लिए आपको उतनी पगलाई नहीं दिख रही होगी। लेकिन इन खिलाड़ियों के मेहनत के किस्से अगर आप सुनेंगे तो आप की आंखें फटी रह जाएगी।
ऊपर मैंने टी-42 हाई जम्प केटेगरी का जिक्र किया है। होता ये है कि पैरालम्पिक्स खेलों में हर खेल में खिलाड़ी कौन से अंग से दिव्यांग है। उसकी एक केटेगरी बनाई जाती है। केटेगरी में जैसे मान लें कोई पैरों से दिव्यांग है तो कोई कमर के ऊपर से। तो ऐसे ही अलग-अलग केटेगरी बनाई जाती है। ये टी-42 भी उन्हीं में से एक केटेगरी है। जो ट्रैक और फील्ड एथलीट हैं उनके घुटनों के ऊपर के अंग की जो दिक्कत है। उसकी केटेगरी है।
अभी तक क्या हाल है पैरालम्पिक्स में...?
मारियप्पन थन्गावेल्लू अभी मात्र 20 साल के हैं। और उन्होंने 1।86 मीटर का हाई जम्प लिया। और इसके साथ ही इंडिया के पहले ऐसे एथलीट हो गए जिन्होंने पैरालम्पिक्स खेलों में हाई जम्प में गोल्ड मेडल जीता है। ये इंडिया का तीसरा गोल्ड मेडल है, इन खेलों में। इससे पहले 1972 में मुरलीकांत पेटकर को गोल्ड मिला था, स्विमिंग के लिए। देवेंद्र झाझरिया को भाला फेंक में 2004 में गोल्ड मेडल मिला था।
वरुण भांटी को ब्रोंज मिला है। इनको भी हाई जंप के लिए ही मेडल दिया गया। वरुण ने 1।83 मीटर की हाई जंप रिकॉर्ड कराई। और इनको ब्रोंज मिला। सिल्वर लेने से जरा सा के लिए चूके। इन दो मेडल के साथ इंडिया के अब तक दस मेडल हो चुके हैं, पैरालम्पिक्स खेलों में।
अब आगे जो और भी खेल बचे हैं। उनमें क्या होता है। वो देखने की बात है। हो सकता है मेडल और भी आएं। लेकिन एक और चीज़ है जो कि देखने को बचा हुआ है। इन खिलाड़ियों को गोल्ड और ब्रोंज और सिल्वर जीतने के बाद कौन-कौन सी सरकारें इनाम की घोषणा करती है। या फिर ये ऐसे ही गुमनाम खेलते रहेंगे और मेडल लाते रहेंगे।
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