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हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडन का कहना है की ओसामा बिन लादेन मरा नहीं आज भी जिंदा है, ये बात उन्होंने मॉस्को ट्रिब्यून को दिए एक इंटरव्यू में कहीं। रूस में शरण लिए हुए स्नोडन ने दावा किया है कि उनके पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि ओसामा बिन लादेन आज भी जिंदा है। स्नोडन ने कहा कि वो बहमास में सीआईए के पेरोल पर रह रहा है, इतना ही नहीं उसे खर्च करने के लिए हर महीने करीब 65 लाख रुपए दिए जाते हैं जो उसके नसाउ बैंक खाता में कुछ उद्दोगपतियों और संस्थाओं के जरिए भेजे जाते हैं।
स्नोडन ने यह भी कहा कि उसे यह नहीं पता कि फिलहाल कहां है लेकिन 2013 में वह अपने पांच पत्नियों और बच्चों के साथ एक विला में रहता था। स्नोडन का कहना है कि सीआईए ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर ओसामा के मौत की झूठी खबर फैलाई। उन्होंने कहा कि ओसामा और उसके परिवार को गुप्त तरीके से बहमास के किसी स्थान पर पहुंचा दिया गया था।
स्नोडन के मुताबिक अगर ओसामा की दाढ़ी हटा दी जाए और उसके सैन्य कोट को उतार दिया जाए तो उसे कोई पहचान नहीं पाएगा। ओसामा के बारे और ज्यादा खुलासा उनकी आने वाली आगामी पुस्तक में होगा।
"अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ मिलकर दुनिया को धोखा देने के लिए लादेन की मौत की झूठी कहानी रची। मैं अपनी किताब में लादेन के जिंदा रहने से जुड़े सबूत पेश करूंगा।"
अमेरिका यह दावा करता रहा है कि 2011 में उसने पाकिस्तान में लादेन को मार गिराया था, हालांकि, उसकी लाश कभी दुनिया के सामने नहीं आ सकी। अमेरिका का कहना है कि लादेन को मारने के बाद उसकी लाश समंदर में ही दफन कर दी गई थी।
अमेरिका ने झूठ क्यों बोला?
स्नोडेन ने कहा- "ओसामा सीआईए के सबसे काबिल एजेंट्स में से एक है। अगर अमेरिका के सील कमांडो उसे मार गिराते तो दुनियाभर में सीआईए के ऑपरेटिव्स को क्या मैसेज जाता?"
"ओसामा को मार गिराने से सीआईए का नेटवर्क कमजोर होता। इसलिए अमेरिका ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर उसकी मौत की झूठी कहानी रची। दुनिया ने मान लिया कि ओसामा मारा जा चुका है और अब उसकी कोई तलाश नहीं कर रहा है।"
कौन हैं एडवर्ड स्नोडेन?
स्नोडेन वही व्हिसलब्लोअर हैं, जिन्होंने 2013 में मीडिया को बताया था कि अमेरिकी नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी कैसे दुनियाभर में जासूसी कराती है। इसी के बाद से वे अमेरिका में वॉन्टेड हैं। नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन 2013 में अमेरिका से रूस भागे थे। वे वेस्टर्न इंटेलिजेंस एजेंसियों के 17 लाख सीक्रेट डॉक्युमेंट्स चोरी कर मीडिया के जरिए पब्लिक कर चुके हैं। स्नोडेन जेनेवा में अंडरकवर एजेंट के तौर पर सीआईए के लिए भी काम कर चुके हैं।
ओसामा की मौत का दावा करता रहा है अमेरिका
अमेरिका का दावा है कि अगस्त 2010 में उसे लादेन के पाकिस्तान में होने की इन्फॉर्मेशन मिली थी। बताया गया था कि ओसामा इस्लामाबाद से 35 किलोमीटर दूर एबटाबाद की एक बिल्डिंग में रह रहा है। सीआईए के अफसरों ने ड्रोन के जरिए इस बिल्डिंग के फोटोग्राफ्स हासिल किए। इसके बाद सील कमांडो को ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई।
2 मई 2011 की रात को नेवी सील ने इस बिल्डिंग पर हमला बोला। दूसरी मंजिल पर मौजूद लादेन को मार गिराया गया। लादेन के मारे जाने की जानकारी खुद यूएस प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने दुनिया को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी थी।
अमेरिकी दावों पर उठते हैं ये सवाल
लादेन को मारने के बाद सील कमांडो उसकी लाश को अपने साथ ले गए। अमेरिका का कहना है कि लादेन की लाश को इस्लामिक रिवाजों के साथ समुद्र में ही दफन कर दिया गया था। सवाल यह है कि अमेरिका ने कभी लादेन की मौत से जुड़े सबूत पब्लिक क्यों नहीं किए?
अमेरिकी अफसरों ने भी अलग-अलग बयान क्यों दिए? कुछ अफसरों ने कहा कि लादेन ने सील कमांडो पर गोली चलाई थी। जबकि कुछ ने कहा कि लादेन निहत्था था। सच्चाई क्या है? पाकिस्तान आर्मी के एक अफसर ने भी अमेरिकी दावे पर सवाल उठाए थे। उसने कहा था कि कमांडो लादेन को साथ ले गए थे, उसकी मौत नहीं हुई थी।
अमेरिका की एंटी वॉर एक्टिविस्ट सिंडी शीहन ने फेसबुक पर लिखा था, "अगर आप लोग ओसामा बिन लादेन की नई डेथ थ्योरी पर यकीन करते हैं, तो आप मूर्ख हैं।"
अमेरिका के इशारे पर ही पनपा था लादेन?
1979 से लेकर 1989 तक अमेरिका अफगानिस्तान से सोवियत रूस को खदेड़ने में जुटा था। अमेरिका ने लादेन और बाकी मुजाहिदीनों को पैसा और हथियार दिए, ताकि वे सोवियत फौज को अफगानिस्तान से बाहर कर सकें। लादेन ने इस जंग में हिस्सा लिया। 1988 में उसने अल कायदा खड़ा किया। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इस काम में अमेरिका की मदद कर रही थी। यानी इस दौर में लादेन अमेरिका के साथ था। खुद अमेरिका नेता भी इस बात को मानते रहे हैं।