ये बात तो हम सभी जानते है कि लंकापति रावण महाज्ञानी था, लेकिन अपने घमंड और अंहकार के कारण वे भगवान राम के हाथों मारे गए। अपने देश में दशहरा के दिन रावण का दहन बड़े धूम-धाम से किया जाता है। अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था। जिसके कारण उसका नाम दशानन है, लेकिन क्या आप जानते हैं रावण का भारत से भी कनेक्शन है।
ऐसा माना जाता है कि रावण का ससुराल मेरठ में है और यहां राम और रावण दोनों के अनुयायी रहते हैं, इसलिए यहां रावण की पूजा भी होती है और रावण का पुतला भी फूंका जाता है। मेरठ का प्राचीन नाम मयराष्ट्र है और इसे लंकेश की महारानी मंदोदरी का पीहर कहा जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंदोदरी मय दानव की पुत्री थी और उस समय मेरठ 'मयराष्ट्र' के नाम से जाना जाता था। मंदोदरी दानव की पुत्री होने के बावजूद की ईश्वर की भक्ति में विश्वास रखती थी। ऐसा माना जाता है कि मंदोदरी पूजा अर्चना करने के लिए मंदोदरी 'बाबा श्री बिल्लेश्वर नाथ महादेव मंदिर' में आया करती थी।
मंदोदरी की भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा 'जिसके बाद वरदान में मंदोतरी ने मांगा कि उनका विवाह ब्रहाम्ण के सबसे विद्वान और शक्तिशाली के साथ हो। जिसके बाद मंदोदरी के विवाह लंका के राजा रावण के साथ हुआ।
इसके साथ ही आपको बताते चले कि ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव को रावण का जन्म स्थान माना जाता है। यहां दशहरा वाले दिन वाले दिन सारा गांव मातम में डूबा रहता है। यहां कोई जश्न नहीं मनाया जाता क्योंकि यह वही स्थान है जहां रावण का जन्म हुआ था।
लोगों का ऐसा मानना है कि विशरवा मुनि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बिसरख में अष्टभुजा वाले शिवलिंग की स्थापना कर मंदिर का निर्माण कराया था। इसलिए पुराणों में बिसरख का नाम विश्वेश्वरा बताया गया है। यहां दूर-दराज से लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।