विस्तार
घड़ी डिटर्जेंट का एक नया विज्ञापन आया है। शायद आपने उसे देखा होगा। नहीं देखा तो हम बता देते हैं कि उसमें है क्या। उस विज्ञापन में होली के दिन कुछ लड़कों को लड़की के साथ बद्तमीज़ी करते हुए दिखाया गया है। होता ये है कि तीन लड़के सड़क पर खड़े होते हैं, सामने से 2 लड़कियां आती हैं।
उनमें से एक लड़का लड़कियों को ज़बरदस्ती रंग लगा देता है, लड़की बहुत डर जाती है। फिर वो हंसते हुए कहता है कि अरे आपके कपड़ों पर तो दाग लग गया। इसपर लड़की कहती है कि ये दाग तो साफ़ हो जाएंगे लेकिन आपके मन के मैल का क्या होगा। और ऐसा कहते हुए वो बहुत आत्मविश्वास के साथ वहां से चली जाती है।
घड़ी का ये विज्ञापन कुछ अच्छा दिखाने की कोशिश तो कर रहा है लेकिन अपने मकसद में सफल होता नहीं दिख रहा। क्या उस लड़की का सिर्फ़ इतना कहकर निकल जाना सही था? क्या उसे और कुछ नहीं कहना चाहिए था? क्या उसे पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करवानी चाहिए थी? मुझे ऐसा लगता है कि इस विज्ञापन का अंत बिल्कुल अच्छा नहीं था।
जो भी हो इस विज्ञापन ने मुद्दा बहुत सही उठाया है। होली के दिन ऐसी घटनाएं होना एक आम बात है। बहुत से लोग होली को ऐसे दिन के रूप में देखते हैं जिस दिन वो जी भर के शराब पी सकते हैं। वैसे भी भांग को तो होली के साथ ऐसे जोड़ दिया गया है जैसे उसके बगैर ये त्यौहार ही अधूरा है।
होली के दिन लड़के ऐसा हुड़दंग मचाते हैं कि लड़कियों का सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है। जिस तरह दिवाली के दूसरे दिन अगर आप अखबार उठाएं को उसमें ऐसे न जाने कितने ही केस होते हैं जिसमें लोग पटाखों से जल गए होते हैं। उसी तरह से होली के अगले दिन भी समाचार पत्र में एक्सीडेंट की न जाने कितनी ही ख़बरें होती हैं। हर मरने वाले की गलती नहीं होती, कई लोग दूसरों की गलती की वजह से भी अपनी जान गंवा देते हैं।
हर होली से एक रात पहले हम होलिका दहन तो करते हैं लेकिन अपने अंदर की बुराइयों का दहन नहीं कर पाते। बुरा न मानो होली है कहकर लोग अपनी हद से आगे बढ़ जाते हैं। यही वजह है कि बहुत सी लड़कियां होली के दिन घर से बाहर ही नहीं निकलती हैं। बात यहां फिर से वही आती है कि लोगों को अपने लड़कों को इस बात को समझाना चाहिए कि लड़कियों के साथ एक छोटी सी बद्तमीज़ी भी उन्हें जेल में पहुंचा सकती है।
वहीं दूसरी तरफ़ घड़ी डिटर्जेंट के विज्ञापन बनाने वाले से हम यही कहना चाहेंगे कि अगर उन्होंने इस विज्ञापन के अंत में लड़कों को जेल जाते और लड़की से माफ़ी मांगते हुए दिखाया जाता तो शायद लोगों के बीच एक बेहतर और कठोर संदेश जाता। होली सबका त्यौहार है और इसे सलीके से मनाया जाना चाहिए। जो भी इस दिन किसी भी तरह की घटिया हरकत करता है उसे तुरंत ही जेल पहुंचाना चाहिए।
इसके बाद हम इस तरह के तमाम लोगों से यही कहना चाहते हैं कि कृपया होली कुछ इस तरह से मनाएं कि आप अगले दिन अखबार के पन्ने पर नज़र न आएं।