ये घटनाएं भी हुई हैं दुनिया में, हैरान कर देंगी विज्ञान से जुड़ी ये रोचक जानकारियां
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
सोनू शर्मा
Updated Thu, 27 Dec 2018 05:24 PM IST
2018 विज्ञान के लिए बेहद रोचक और नई संभावनाएं जगाने वाला रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर रॉकेट और अंतरिक्ष से लेकर पृथ्वी पर जीवन और मानव इतिहास के बारे में कई नई जानकारियां सामने आईं। ऐसी ही विज्ञान से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां हम आपके लिए लेकर आए हैं, जो शायद ही आपको पता हों।
Falcon rocket
- फोटो : Space X
विज्ञान शोध और इनोवेशन पर काम कर रही कंपनी स्पेस एक्स ने दुनिया में अब तक के सबसे ताकतवर रॉकेट 'फॉल्कन हैवी' की पहली सफल उड़ान संचालित की। इसकी खासियत है कि इसे पुन: उपयोग किया जा सकता है। अंतरिक्ष में पहुंचकर फॉल्कन ने एक टेस्ला रोडस्टर कार को शून्य में छोड़ा। यह ऐसा पहला रॉकेट है, जो पृथ्वी से अंतरिक्ष में पहुंचकर सफलता से दोबारा लैंड करवाया गया है।
स्पेस एक्स के सीईओ एलॉन मस्क ने कहा, 'मुझे इसकी कामयाबी पर पूरा भरोसा नहीं था। जब रॉकेट वापस लैंड हुआ तो मुझे इस पर यकीन हो पाया। चांद और मंगल पर मानव भेजने और वहां बसने के सपने को पूरा करने की क्षमता हासिल करने के लिए यह जरूरी है।'
Kilogram
- फोटो : Social Media
1989 से दुनिया को वजन मापना सिखा रहा किलो का बाट नवंबर में रिटायर कर दिया गया। अब एक किलो को 'इलेक्ट्रिक किलो' के नाम से जाना जाएगा। 50 देशों ने एकमत से इसका निर्णय लिया। दुनिया भर में कारोबारों से लेकर अन्य मानवीय गतिविधियों में इस नई विधि के किलो को शामिल किया जाएगा। फ्रांस में रखे प्लेटिनम मिश्रण के विशेष बाट 'इंटरनेशनल प्रोटोटाइप किलोग्राम' (आईपीके) की जगह नए इलेक्ट्रिक किलो की खासियत है कि यह पुराने बाट की तरह गंदा होकर माइक्रॉन के स्तर पर भी भारी नहीं हो सकता, न कभी क्षरण से इसका वजन कम होगा। दावा किया गया है कि इसमें एक किलो की सटीक गणना जस की तस बनी रहेगी। यही नहीं, इसे पुराने बाट की तरह की तरह फ्रांस में प्रयोगशाला में तालों के बीच सुरक्षित रखने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि सभी से शेयर किया जाएगा।
Designer baby
- फोटो : Genetic Literacy Project
चीनी वैज्ञानिकों ने नवंबर में दावा किया कि उन्होंने जुड़वां डिजाइनर शिशुओं का सफलता से जन्म करवाया है। ये दोनों बच्चियां हैं और इनकी विशेषता है कि ये 'जेनेटिकली एडिटेड' हैं। उनके जीन में इस प्रकार के परिवर्तन किए गए हैं कि वे कई तरह की बीमारियों की चपेट में नहीं आएंगी। इनमें एचआईवी वायरस का संक्रमण सबसे प्रमुख है। इन जुड़वा नवजात को लूलू और नाना दिया गया। यह प्रयोग सफल रहा तो इसे मानव जाति के अस्तित्व को नए तरीके से परिभाषित करने के रास्ते मिलेंगे। साथ ही कई प्रकार की जन्मजात बीमारियों से लेकर मनुष्य को अपने जीवन काल में होने वाले रोगों से बचाया जा सकेगा।
शोधकर्ता ही जिआंकुई ने कहा, 'मुझे अपने काम पर नाज है। हमें अनदेखे खतरों की वजह से आगे बढ़ने से नहीं रुकना चहिए। विज्ञान का काम डरकर रुकना नहीं है। अबूझ के जोखिमों से जीतना ही विज्ञान है।'
मंगल ग्रह मिशन पर 2011 में नासा द्वारा भेजे गए 'क्यूरियोसिटी रोवर' ने चट्टान पर अनूठी आकृतियों की तस्वीरें साल की शुरुआत में भेजीं। ये आकृतियां प्राकृतिक रूप से बनी हैं, या किसी प्रकार के जीवों ने इन्हें बनाया है, यह वैज्ञानिक फिलहाल तय नहीं कर सके हैं। ऐसे में इन पर विस्तृत शोध शुरू किया गया है। कुछ और तस्वीरें क्यूरियोसिटी ने बाद में भी भेजीं। इस अध्ययन में जुटे एस्ट्रो-बायोलॉजिस्ट्स ने बाद में भेजी गई तस्वीरों को भी शोध में शामिल किया है।
Ancient Painting
- फोटो : discovermagazine
सितंबर महीने में दक्षिण अफ्रीका केप टाउन के निकट ब्लोमबोस नामक गुफा की चट्टानों पर एक रेखाकृति की खोज की गई। इसे करीब 73 हजार वर्ष पुराना मध्य-पाषाण युग का माना जा रहा है। मात्र 9 रेखाओं के जरिए शुरुआती मानवों द्वारा बनाई इस पेंटिंग ने यूरोप में मिली 30 हजार साल पुरानी पेंटिंग के सबसे पुराना होने के रिकॉर्ड को तोड़ा है। पुरातत्वविज्ञानियों के अनुसार यह पहला साक्ष्य है जो बताता है कि इतने समय पहले भी मानव चित्रकला कर लेते थे।
Driverless car
- फोटो : Uber
माना जा रहा है कि चालक रहित कारें हमारे यातायात का भविष्य हैं, लेकिन इन संभावनाओं को मार्च 2018 में उस समय झटका लगा, जब अमेरिका के एरिजोना में ऑनलाइन कार सेवा दे रही कंपनी ऊबर द्वारा चलाई जा रही इसी प्रकार की एक कार ने एक महिला को टक्कर मार दी। महिला की मौत हो गई। इसके बाद 19 मार्च को ऊबर ने दुनिया में अपनी सभी चालक रहित कारों का संचालन बंद कर दिया। इसे दुनिया में ऑटोमेशन तकनीक की वजह से हुई पहली मौत माना जा रहा है।
ऊबर के सीईओ खोसरोशाही ने कहा, 'एरिजोना में हुआ हादसा दुखद था। लेकिन यकीनन ड्राइवरलेस कार ही हमारा भविष्य हैं। अभी यह एक विद्यार्थी की तरह हैं। जल्द ही परिपक्व और बेहतर होंगी।'
Carbon emissions
- फोटो : Social Media
ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के अनुसार 2018 में 37.1 अरब टन कार्बन का उत्सर्जन पृथ्वी पर हुआ। यह अब तक का सर्वाधिक उत्सर्जन माना जा रहा है। इसकी प्रमुख वजह कारों की बढ़ी संख्या और चीन में कोयले से बिजली का उत्पादन रहा। इसका असर जलवायु परिवर्तन, तापमान बढऩे और समुद्र का जलस्तर बढऩे के रूप में जल्द सामने आने का अंदेशा जताया गया है।
Artificial Intelligence
- फोटो : CBS New York
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस प्रोग्राम विकसित करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट और अलीबाबा कंपनियां मिल कर काम कर रही हैं। इन्होंने अपने कार्यक्रम के साझे परिणाम 15 जनवरी को जारी किए, जिन्होंने दुनिया को सशंकित कर दिया है। इन परिणामों के अनुसार उनका एआई प्रोग्राम अब एक औसत व्यक्ति द्वारा चीजों को पढ़कर समझने की क्षमता से बेहतर प्रदर्शन करने लगा है। इसके लिए उनके प्रोग्राम को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी रीडिंग-कॉम्प्रिहैंशन टेस्ट से गुजारा गया।
Europa Moon
- फोटो : Social Media
पृथ्वी के बाद बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा जीवन की सर्वाधिक संभावनाएं रखने वाला माना जाता है। इस पर पानी के निशान वैज्ञानिकों को मिले हैं। इसके लिए 1995 से 2003 तक गैलीलियो मिशन द्वारा इस चंद्रमा से जमा किए डेटा का अध्ययन किया गया था। मई में इस रिपोर्ट को जारी किया गया। जीवन की खोज की दिशा में इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि यूरोपा की दूरी वहां तक इंसान की पहुंच को मुश्किल बनाती है। लेकिन जीवन हो तो पहुंचना असंभव नहीं।
इस मिशन के सुपरवाइजर जिआ रुई कॉक ने बताया, 'यह संकेत अंतरिक्ष से मिली अब-तक की सबसे सुखद सूचना है।'
Artificial cornea
- फोटो : Medical Xpress
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिका का फूड एंड ड्रग प्रशासन विभाग दुनिया का पहला ऐसा विभाग बना है, जिसने कृत्रिम आंखों को लगाने की अनुमति दी है। यह अनुमति पुतलियों में जन्मजात खामी की वजह से देखने की क्षमता खो चुके लोगों के लिए दी गई है।
नेचर कम्युनिकेशन पत्रिका में अप्रैल में प्रकाशित शोध में ऑक्सफोर्ड और एसेक्स यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने पृथ्वी पर मौजूद समस्त जीवों में 6,331 ऐसे जीन की पहचान का दावा किया है जो सभी में मौजूद हैं। इसके आधार पर यह भी दावा किया गया है कि सभी जीवों का कोई एक पुरखा रहा होगा। यानी हम मनुष्यों और व्हेल से लेकर चींटी और वानर से लेकर मैना तक की उत्पत्ति इसी जीव से हुई। हालांकि इस जीव का कोई जीवाश्म आज तक नहीं मिली है, फिर भी इसकी मौजूदगी 65 करोड़ वर्ष पहले होने की बात कही गई है, वैज्ञानिक भाषा में इसे प्रीकैंब्रियन युग कहा जाता है। दार्शनिक रूप से तो हम हमेशा से यही मानते आए हैं कि सभी एक ही तत्व के बने हैं। विज्ञान इसे साबित करने वाला है।