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मथुरा के वृंदावन स्थित गोपीनाथ मंदिर में इस बार होली तो मनाई गई लेकिन एक अलग अंदाज में। इस बार होली का आयोजन उनके लिए था जिनकी जिंदगी से सारे रंग गायब हो गए थे।
पूरा देश इनकी खुशियों में अपरोक्ष तरीके से शमिल हो गया।
सदियों से जिंदगी के रंगों से दूर रहीं इन विधवाओं की जिंदगी में उस समय लाल-गुलाबी-हरे-पीले रंग भर गए, जब वृंदावन के प्राचीन ठाकुर राधा गोपीनाथ मंदिर में सैकड़ों विधवाओं ने जमकर गुलाल उड़ाया और फूलों से होली खेली।
होली के आयोजक सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ.विन्देश्वर पाठक ने बताया कि सदियों से वृन्दावन में रह रही विधवाओं की जिंदगी में ऐसे रंग उपेक्षित रहे।
सुलभ इंटरनेशनल अगस्त 2012 से वृंदावन और वाराणसी की करीब 1500 विधवाओं की देखभाल कर रहा है। सुलभ इन विधवाओं की जिंदगी में रंग भरने और इन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश के रूप में तीन साल से उनके लिए होली का त्यौहार मनाने का आयोजन कर रहा है।
अब तक सुलभ इण्टरनेशनल इस प्रकार की होली का आयोजन उनके आश्रय सदनों में ही करता रहा है। लेकिन यह पहला मौका है, जब किसी जाने-माने और प्रतिष्ठित मंदिर में उनके लिए होली का त्यौहार मनाया गया। इन सारी कोशिशों का सबब एक ही है कि विधवाएं भी समाज के अन्य अंगों के समान ही जीवन व्यतीत कर सकें।
एक टन से ज्यादा गुलाल और डेढ़ टन गुलाब व गेंदा के फूलों की होली ने ठाकुर राधागोपी नाथ मंदिर को एक अलग ही खूशबू से महका दिया। भारतीय समाज के अनेक हिस्सों में आज के आधुनिक दौर में भी विधवाओं को होली मनाने, रंगीन वस्त्रों आदि का प्रयोग करने एवं खुशियों से भरे मांगलिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं किया जाता है। ऐसे में इस होली का आयोजन एक नई पहल की शुरूआत होगी।
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Credits:?
Business Insider |
Jansatta |
The Globe and Mail