भारत में हमेशा से परंपराओं को बहुत महत्व दिया गया है। यहां विभिन्न स्थानों पर आपको विभिन्न प्रकार की परंपराएं और रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। आज भी भारत में कई ऐसे समाज हैं, जो पुराने समय से चली आ रही परंपराओं को तवज्जो देते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनकर आपको हैरानी होगी। ये अजीबोगरीब परंपरा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में निभाई जाती है। दरअसल, यहां पर एक बारात का दूल्हा एक हथौड़े को बनाया जाता है। जी हां, ये सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लग रहा हो, लेकिन ये बिल्कुल सच है।
बारात में हथौड़े को दूल्हा बनाने की ये अजीबोगरीब प्रथा प्रयागराज की है। ये देख कर आपको हैरानी होगी कि यहां पर शादी में सभी बाराती नाच, गाकर जश्न का मनाते हैं, जहां दुल्हा एक लकड़ी का हथौड़ा है। साथ ही इसे रेशम और ब्रोकेड के कपड़ों में सजाया जाता है।
दरअसल, ये हथौड़ा बारात प्रयाग नागरिक सेवा संस्थान (पीएनएसएस) द्वारा चौक क्षेत्र में हर साल आयोजित की जाती है। हर साल किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी द्वारा हथौड़े की आरती करने के बाद केसर विद्या पीठ से शोभायात्रा निकाली जाती है।
हर साल सजता है हथौड़े का दूल्हा
विशेष बारात के संयोजक संजय सिंह का कहना है कि पूरे वर्ष के लिए, इस विशेष लकड़ी के हथौड़े को विशेष रूप से डिजाइन किए गए मंच पर पीएनएसएस के कार्यालय में आंशिक रूप से सजाया जाता है। इसके बाद यहां से इसे गंगा नदी में पवित्र डुबकी के लिए भी ले जाया जाता है। साथ ही इस हथौड़े को दूल्हे की तरह रेशमी कपड़े और मालाओं से सजाया जाता है।
बुराई पर अच्छाई की जीत
बात करें इस परंपरा के महत्व की, तो इस प्रथा में हथौड़े से एक कद्दू को तोड़ने के लिए कहा जाता है। माना जाता है कि कद्दू बुराई को दर्शाता है, वहीं हथौड़े का प्रयोग बुराई के खात्मे का प्रतीक माना जाता है।
बिन दुल्हन की बारात
वहीं बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक ये बारात बिना दुल्हन की होती है। साथ ही इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि को भी आमंत्रित किया जाता है।